
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होने का आह्वानकिया। उन्होंने कहा कि किसी भी आतंकी को बख्शा नहीं जाना चाहिए और न ही किसी देश को आतंकियों का इस्तेमाल अपने रणनीतिक उद्देश्यों केलिए करने देना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति “जीरो टॉलरेंस” पर आधारित है।
पहलगाम हमले का संदर्भ और भारत की प्रतिक्रिया
जयशंकर ने अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए बताया कि इस हमले ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को और सख्तकिया है। उन्होंने कहा कि इस हमले के दो हफ्तों के भीतर भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकीठिकानों को निशाना बनाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से इस हमले की निंदा का भी उल्लेख किया।
मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा
विदेश मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि आतंकवाद न केवल शांति और स्थिरता बल्कि मानवाधिकारों, कानून के शासन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के भीखिलाफ है। जब कोई राष्ट्र अपने पड़ोसी के खिलाफ आतंक को हथियार बनाता है या जब कट्टरपंथ इसे बढ़ावा देता है, तो उसे बेनकाब करना जरूरीहो जाता है.
परमाणु धमकियों से न झुके वैश्विक समुदाय
जयशंकर ने यह भी चेताया कि दुनिया को किसी भी देश की परमाणु धमकी या ब्लैकमेल के आगे झुकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवादऔर परमाणु हथियारों की धमकी दोनों ही वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे हैं।
संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शनी का उद्घाटन
एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘आतंकवाद का मानवीय नुकसान’ नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जो 30 जून से 3 जुलाई और 7 से 11 जुलाई तक प्रदर्शित की जाएगी। इस प्रदर्शनी में 1993 मुंबई बम धमाके, 2008 के मुंबई हमलों और 2025 के पहलगामहमले जैसे आतंकवादी कृत्यों को दर्शाया गया है। इसमें आतंकवाद से प्रभावित पीड़ितों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामने लाने की कोशिशकी गई है।
पाकिस्तान की UNSC अध्यक्षता के बीच अहम वक्तव्य
गौरतलब है कि यह वक्तव्य ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने जा रहा है। जयशंकर का यहबयान एक तरह से वैश्विक मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को चुनौती देने की दिशा में भी देखा जा रहा है।