
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की हालिया बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ एक ही मंच परदिखाई दिए। यह पहली बार था जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रक्षा मंत्री एक ही मंच पर मौजूद थे।हालांकि, दोनों के बीच किसी भी तरह की बातचीत नहीं हुई और न ही कोई औपचारिक अभिवादन का आदान-प्रदान हुआ।
पाकिस्तान के मंत्री दिखे अलग-थलग
बैठक के दौरान राजनाथ सिंह और ख्वाजा आसिफ ने अलग-अलग एंट्री की और ग्रुप फोटो सेशन में हिस्सा लिया। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल केप्रमुख ख्वाजा आसिफ पूरे समय अकेले दिखाई दिए, जबकि भारतीय रक्षा मंत्री ने चीन के रक्षा मंत्री डोंग जुन, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव औरबेलारूस के समकक्ष विक्टर ख्रेनिन से मुलाकात की और द्विपक्षीय चर्चा की।
तल्ख रिश्तों की वजह: पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया कूटनीतिक तनाव की मुख्य वजह अप्रैल में पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है, जिसमें पाक समर्थितआतंकियों की भूमिका सामने आई थी। इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कड़ी सैन्य कार्रवाई की थी। इसी वजह से भारत नेपाकिस्तान के साथ बातचीत बंद कर दी है और छह दशक पुराने सिंधु जल समझौते को भी स्थगित कर दिया गया है।
SCO मंच से पाकिस्तान पर राजनाथ सिंह का सीधा हमला
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े टीआरएफ केपाकिस्तानी संपर्कों का जिक्र किया और पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। साथ ही, उन्होंने यह स्पष्ट किया किभारत भविष्य में भी आतंकवाद के खिलाफ इसी तरह की कठोर कार्रवाइयों के लिए तैयार है।
संयुक्त बयान से भारत का इनकार
SCO बैठक में जब पाकिस्तान और चीन ने मिलकर ऐसा साझा बयान (जॉइंट स्टेटमेंट) लाने की कोशिश की, जिसमें बलूचिस्तान का उल्लेख थालेकिन पहलगाम हमले का कोई जिक्र नहीं था, तब भारत ने उस ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत के सख्त रुख के चलते सम्मेलनके बाद कोई संयुक्त प्रस्ताव जारी नहीं हो सका।
भारत ने पाकिस्तान की रणनीति को किया बेनकाब
पाकिस्तान ने संयुक्त बयान में बलूचिस्तान का हवाला देकर वहां के आंदोलन को बाहरी ताकतों की साजिश बताने की कोशिश की, लेकिन भारत नेइस प्रयास को विफल कर दिया। पाकिस्तान लंबे समय से भारत पर बलूचिस्तान को अस्थिर करने का आरोप लगाता रहा है, जबकि वहां की जनतापाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के विरोध में स्वतंत्रता की मांग कर रही है।