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पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। दिल्ली स्थितकॉन्स्टिट्यूशन क्लब में I.N.D.I.A गठबंधन से जुड़े प्रमुख दलों की बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, शिवसेना (यूबीटी) सहितकुल 16 विपक्षी पार्टियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र भेजा गया, जिसमें संसद का विशेष सत्र बुलाने कीमांग की गई है।

सरकार को संसद में जवाब देना होगा
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि सभी 16 दलों ने मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हमले के बाद विपक्षने सरकार को पूरा समर्थन दिया, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार पूरे घटनाक्रम पर संसद में विस्तार से जानकारी दे। उन्होंने कहा कि संसदविशेष सत्र का मंच ऐसा होना चाहिए जहां सभी सांसद मिलकर सेना का आभार जता सकें और सरकार की ओर से हर पहलू पर पारदर्शी जानकारी दीजा सके।

ट्रंप के बयानों ने भारत को आहत किया
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 15 दिनों में 13 बयान दिए हैं, जिनमें से कई भारत की भावनाओं को ठेसपहुंचाने वाले थे। उन्होंने कहा कि यह केवल विपक्ष या सत्ता पक्ष का विषय नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय आत्मसम्मान और जवाबदेही का मामला है।

क्या ट्रंप से सत्र बुलाने की अनुमति लें?
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि 16 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर वाला पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जबअमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कहने पर युद्धविराम हो सकता है, तो फिर विपक्ष की मांग पर विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा रहा? क्या अब हमें संसदबुलाने के लिए ट्रंप के पास जाना पड़ेगा?

डेरेक ओ ब्रायन: “सरकार को संसद के प्रति जवाबदेह होना चाहिए”
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बताया कि पत्र में पुंछ, उरी और राजौरी में हुई घटनाओं पर स्वतंत्र चर्चा की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि संसदजनता की प्रतिनिधि संस्था है और सरकार को उसकी जवाबदेही निभानी चाहिए। आम आदमी पार्टी ने भी कहा है कि वह अलग से प्रधानमंत्री को पत्रभेजेगी।

रामगोपाल यादव: “सैनिकों को सलाम, कूटनीति पर सवाल”
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि हमारी सेना ने उत्कृष्ट कार्य किया है, उन्हें धन्यवाद और बधाई दी जानी चाहिए। लेकिनसवाल यह है कि इतने अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद भारत को खुला समर्थन किसी भी देश से नहीं मिला। उन्होंने प्रधानमंत्री की विदेश नीति परसवाल उठाते हुए कहा कि संसद को अंधेरे में रखना उचित नहीं है।

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