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कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी,
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी,
सीपीपी पदाधिकारीगण और सभी सांसदगण,

मुझे इस ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में वापस आकर खुशी हो रही है। यह स्थान हम सभी के लिए कई यादों से भरा हुआ है। पहले हम यहां खुलकरसंवाद कर सकते थे, विभिन्न दलों के सदस्यों से मिल सकते थे और मीडिया से बातचीत कर सकते थे, लेकिन अब नए संसद भवन में ऐसा कर पानासंभव नहीं रहा है।

संसद सत्र की प्रमुख घटनाएं
यह सत्र काफी लंबा और घटनाओं से भरा रहा। बजट प्रस्तुत किया गया और इस पर विस्तृत चर्चा हुई। वित्त और विनियोग विधेयकों पर भी विचार-विमर्श हुआ। हमारे कई साथी इन चर्चाओं में शामिल हुए और अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को उजागर किया। उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी औरबढ़ती असमानता पर सरकार की दावों और जमीनी हकीकत के बीच गहरी खाई को स्पष्ट किया।

विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर संसदीय स्थायी समितियों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं। हमारे चार साथी इन समितियों की अध्यक्षता कर रहे हैंऔर उन्होंने प्रभावी नेतृत्व दिखाया है। विशेष रूप से कृषि, ग्रामीण विकास और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इन रिपोर्टों का उपयोग सरकार कोजवाबदेह बनाने के लिए किया गया है।

महत्वपूर्ण बहसों पर सरकार का असहयोग
हमने कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन सत्तारूढ़ दल ने इसे खारिज कर दिया। उदाहरण के लिए, हमने लोकसभा में रक्षाऔर विदेश मंत्रालय के कामकाज पर विस्तृत चर्चा की मांग की थी, जो वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए बेहद जरूरी थी। लेकिन इसपर भी सरकार ने कोई अनुमति नहीं दी।

चीन द्वारा हमारी सीमाओं पर उत्पन्न खतरों और प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को चीन को दी गई ‘क्लीन चिट’ पर भी हम चर्चा चाहते थे।प्रधानमंत्री के इस बयान ने हमारी कूटनीतिक स्थिति को कमजोर किया, लेकिन इस पर चर्चा से भी इनकार कर दिया गया। इसके विपरीत, चीन सेआयात लगातार बढ़ रहा है, जिससे हमारे लघु और मध्यम उद्योग (MSME) बर्बाद हो रहे हैं।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर चिंता
हम लगातार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की मांग कर रहे हैं। हमने संसद में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और इसकी अपारदर्शी नीतियों पर चर्चा कीमांग की थी, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के तहत है। लेकिन सरकार ने इस पर भी बहस की अनुमति नहीं दी।

लोकतंत्र पर बढ़ते खतरे
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को बोलने नहीं दिया जाता और राज्यसभा में भी मल्लिकार्जुन खड़गे जी को बार-बार रोका जाता है। सदन की कार्यवाहीहमारे कारण नहीं, बल्कि खुद सत्तापक्ष के विरोध के कारण बाधित होती है। यह असाधारण और चौंकाने वाला है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकारहमें मुद्दे उठाने से रोकने का प्रयास कर रही है।

विवादास्पद विधेयक और संविधान पर हमले
कल लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया गया और आज इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। यह विधेयक पूरी तरह सेसंविधान पर हमला है और भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिससे समाज में विभाजन और ध्रुवीकरण बना रहे।

इसी तरह, “वन नेशन, वन इलेक्शन” बिल संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करने का प्रयास है। हम इसका भी पूरी ताकत से विरोध कर रहे हैं। साथही, महिलाओं के लिए आरक्षण बिल, जिसे दो साल पहले दोनों सदनों ने पारित किया था, अब भी लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा, एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की हमारी मांग को भी सरकार लगातार नजरअंदाज कर रही है।

जनहितकारी योजनाओं को कमजोर करने की साजिश
हमने संसद के शून्यकाल के दौरान सूचना का अधिकार (RTI), मनरेगा, वन अधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून पर उठाए गए मुद्दों को संसदके बाहर भी मजबूत करने की आवश्यकता जताई है। ये सभी कानून मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में लागू किए गए थे और मोदी सरकार इन्हेंकमजोर करने में लगी हुई है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत 80 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा मिली हुई है, लेकिन 14 करोड़ लोग इस अधिकार से वंचित रह गएहैं क्योंकि मोदी सरकार 2021 की जनगणना को अब तक कराने में विफल रही है। इस गंभीर मुद्दे को कांग्रेस अध्यक्ष और मैंने कई बार उठाया है औरहम उम्मीद करते हैं कि आप इसे अपने-अपने क्षेत्रों में भी आगे बढ़ाएंगे।

भारत को निगरानी राज्य बनाने की साजिश
चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, नागरिक अधिकार हों, संघीय ढांचा हो या चुनावी प्रक्रिया, मोदी सरकार देश को एक ऐसी स्थिति में ले जा रही है, जहांसंविधान केवल एक दस्तावेज बनकर रह जाएगा। उनका असली इरादा इसे पूरी तरह खत्म करने का है। हमें उनके इस षड्यंत्र को बेनकाब करना होगाऔर जनता तक उनकी असफलताओं को पहुंचाना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी 2004-2014 के दौरान यूपीए सरकार की योजनाओं को नया नाम देकर अपने व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। हमेंइस झूठ को उजागर करना होगा और अपने जनसंपर्क अभियानों के माध्यम से जनता को सच्चाई बतानी होगी।
भाजपा शासित राज्यों की असफलताओं को उजागर करें
मैंने देखा है कि भाजपा सांसद शून्यकाल में हमारी राज्य सरकारों को गलत आरोपों के साथ निशाना बनाते हैं। हमें भी उतनी ही आक्रामकता के साथभाजपा शासित राज्यों की विफलताओं और कुशासन को उजागर करना होगा। इसके लिए हमें गहराई से शोध और तथ्य जुटाने होंगे ताकि हम प्रभावीढंग से इन मुद्दों को उठा सकें।

आगामी चुनाव और संगठनात्मक रणनीति
कांग्रेस अध्यक्ष राज्यों के नेताओं से लगातार चर्चा कर रहे हैं, विशेष रूप से उन राज्यों में जहां अगले 12 महीनों में चुनाव होने हैं। हाल ही में जिलाकांग्रेस अध्यक्षों के साथ बैठक हुई थी और अगले दो दिनों में और भी बैठकें होंगी। अगले सप्ताह अहमदाबाद में एआईसीसी सत्र आयोजित कियाजाएगा, जहां मैं आप सभी से पुनः मिलने की आशा करती हूं।

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