प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल ही में विदेश से लौटे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवालखड़े किए हैं। पार्टी ने पूछा है कि क्या अब सरकार देश की सुरक्षा और विदेश नीति जैसे अहम मुद्दों पर संसद के आगामी मानसून सत्र में खुली चर्चाकराएगी।
क्या पीएम सभी दलों की बैठक की करेंगे अध्यक्षता?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अब स्वयं 32 देशों में भेजे गए सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से भेंट की है। ऐसे मेंसवाल उठता है कि क्या वह अब सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाकर चीन और पाकिस्तान को लेकर भारत की रणनीति पर विपक्ष कोविश्वास में लेंगे?
सीडीएस खुलासे और सुरक्षा रणनीति पर विपक्ष को भरोसे में लेने की मांग
रमेश ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को सिंगापुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) द्वारा किए गए खुलासे के संदर्भ में भी विपक्ष को भरोसे में लेनाचाहिए। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करने कोतैयार है?
क्या बनेगा कारगिल समीक्षा समिति जैसा विशेषज्ञ समूह?
जयराम रमेश ने यह सुझाव भी रखा कि सरकार को कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह गठित करना चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी हो कि वह ऑपरेशन सिंदूर, भारत की रक्षा क्षमताओं, सैन्य तकनीकों, और सामरिक संचार के भविष्य पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे।उन्होंने पूछा कि क्या यह रिपोर्ट संशोधन के बाद संसद में पेश की जाएगी, जैसा कि वर्ष 2000 में कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट संसद में रखीगई थी?
क्या संसद में सुरक्षा और विदेश नीति पर होगी बहस?
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि क्या संसद के मानसून सत्र में देश की सुरक्षा चुनौतियों और विदेश नीति पर खुली बहस कराई जाएगी? विपक्षपहले ही संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर चुका है, जिसे सरकार ने ठुकरा दिया था।
प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का उद्देश्य और पीएम से मुलाकात
गौरतलब है कि जिन सांसदों और पूर्व राजनयिकों से प्रधानमंत्री ने मुलाकात की, वे विभिन्न देशों की यात्रा पर इसलिए गए थे ताकि वे पहलगामआतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रख सकें और आतंकवाद के खिलाफ भारत कीप्रतिबद्धता का संदेश दे सकें।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से यह अपेक्षा जताई है कि अब जब सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हुई है, तो वह घरेलू स्तर पर भी विपक्ष और संसद कोसमान रूप से महत्व देगी।