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पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्यकर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया है। अदालत ने चयन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि इसमें बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ीकी गई थी।

कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
कलकत्ता हाईकोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के फैसले के खिलाफ दायर 127 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि चयनप्रक्रिया में इतनी गड़बड़ियां पाई गई हैं कि इसे ठीक नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को कुछ संशोधनों के साथ बरकराररखा।

दिव्यांग कर्मचारियों को राहत
न्यायालय ने दिव्यांग कर्मचारियों को मानवीय आधार पर छूट दी है, जिससे वे अपनी नौकरी पर बने रहेंगे। हालांकि, बाकी सभी अवैध नियुक्तियों कोरद्द कर दिया गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हटाए गए कर्मचारियों को अब तक मिले वेतन और भत्तों को वापस करने की जरूरत नहींहोगी।

राज्य सरकार को तीन महीने में नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और इसे तीन महीने के भीतर पूरा करे। इसके साथ ही, सीबीआई को मामले की जांच जारी रखने की अनुमति दी गई है।

भर्ती घोटाले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें 24,640 पदों के लिए 23 लाखउम्मीदवारों ने भाग लिया था, लेकिन कुल 25,753 नियुक्तियां की गई थीं। हाईकोर्ट ने इसे “व्यवस्थित धोखाधड़ी” करार दिया था।

राजनीतिक हलकों में हलचल
इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं और पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की संलिप्तता की जांच जारी है। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकारकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है।

आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 अप्रैल की तारीख तय की है, जिसमें सीबीआई जांच पर चर्चा होगी। इस फैसले के बाद पश्चिमबंगाल सरकार पर पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया लागू करने का दबाव बढ़ गया है।

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