रागिनी नायक ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से आज मैं एक अत्यंत गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दे पर संवादकरने आई हूं। आप सभी पत्रकारों का हार्दिक स्वागत है, अभिनंदन है।”
सिंदूर भारतीय नारी शक्ति का प्रतीक
उन्होंने कहा, “मेरे माथे की मांग में लगा सिंदूर भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है। यह सिर्फ एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं, बल्कि भारतीयविवाहित स्त्री के प्रेम, विश्वास, सम्मान और सौभाग्य का प्रतीक है। यह सिंदूर उस अग्नि के समान है, जो बुरी नज़रों को भस्म कर सकती है।”
नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला
नायक ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पवित्र प्रतीक का राजनीतिक लाभ लेने में जुटे हैं। उन्होंने कहा, “सेना की वर्दी पहन कर फोटोखिंचवाने से मोदी जी का मन नहीं भरता, अब वो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर देशभर में बड़े-बड़े पोस्टरों, होर्डिंग्स, ट्रेन टिकट्स और पेट्रोल पंपों तक परअपनी तस्वीर लगवा रहे हैं।”
सेना के बलिदान का राजनीतिक दोहन
उन्होंने सवाल उठाया, “अगर ये सचमुच सेना का अभियान था तो फिर विंग कमांडर व्योमिका सिंह, कर्नल सोफिया कुरैशी और तीनों सेनाओं के प्रमुखोंकी तस्वीरें कहां हैं? क्यों सिर्फ नरेंद्र मोदी की तस्वीरें दिख रही हैं?”
सिंदूर वितरण’ पर सवाल
नायक ने इस बात पर हैरानी जताई कि मोदी सरकार घर-घर सिंदूर बांटने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, “एक विवाहित स्त्री को सिंदूर उसकापति देता है, या फिर शक्ति पीठों में आशीर्वाद स्वरूप मिलता है। क्या भाजपा के कार्यकर्ता अब पराए मर्दों के रूप में विवाहित स्त्रियों को सिंदूर देंगे? वो सिंदूर सुहाग का नहीं, मोदी जी के प्रचार का प्रतीक बन जाएगा।”
शहीदों की विधवाओं को न्याय कब?
नायक ने पहलगाम आतंकी हमले में शहीदों की विधवाओं का मुद्दा उठाते हुए पूछा, “वो सूनी मांगें चीख-चीख कर पूछ रही हैं – हमले के गुनहगारों कोकब पकड़ा जाएगा? कब मिलेगा हमें इंसाफ?” उन्होंने भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के बयान की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने शहीदों कीविधवाओं को ‘वीरांगना’ मानने से इनकार किया था।
महिला अधिकारों पर दोहरा मापदंड
उन्होंने यह भी कहा कि जब एक शहीद की पत्नी ने हिंदू-मुस्लिम एकता की बात की, तो उसे सोशल मीडिया पर ट्रोल और अपमानित किया गया। डॉ. नायक ने पूछा, “क्या अब देशभक्ति की परिभाषा केवल नफरत फैलाने तक सीमित रह गई है?”
सेना नहीं, मोदी का गुणगान
नायक का कहना था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का श्रेय सेना को मिलना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार इसे अपने प्रचार के हथियार की तरहइस्तेमाल कर रही है। उन्होंने सवाल किया, “अगर सेना का सम्मान ही उद्देश्य था, तो इस कार्यक्रम की शुरुआत एयरफोर्स डे या फील्ड मार्शलमानेकशॉ के जन्मदिवस से क्यों नहीं हुई? 9 जून को क्यों, जब मोदी जी ने तीसरी बार शपथ ली?”
नोटबंदी, कोविड और किसान आंदोलन की विधवाएं
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मोदी सरकार उन महिलाओं को भी सिंदूर बांटेगी जिनके पति नोटबंदी के दौरान मारे गए? या उन महिलाओं को, जिनकेपतियों की जान कोविड काल में गई? “700 किसानों की शहादत के बाद भी क्या उन विधवाओं को यह सिंदूर मिलेगा?” उन्होंने पूछा।
बेरोजगारी, आत्महत्या और महंगाई
नायक ने कहा, “हर दिन 154 किसान और मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं। बेरोजगारी के चलते हर साल 12,000 लोग जान गंवा रहे हैं। क्या मोदीसरकार उनके परिवारों के दरवाजे पर भी सिंदूर लेकर जाएगी?”