संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में विस्तार का मुद्दा एक बार फिर उठा है. यूएनएससी में सुधारों पर इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएशंस (IGN) केअध्यक्ष तारिक अलबनई ने कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार होता है तो भारत सीट का प्रमुख दावेदार होगा. उन्होंने कहा कि सुधारपरिषद का लक्ष्य प्रतिनिधित्वपूर्ण होना चाहिए. भारत आज वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी है संयुक्त राष्ट्र 193 देशों का सदस्य है. यह विचारसभी के लिए और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए प्रतिनिधित्वपूर्ण है. अलबनई ने कहा कि यदि यह निर्णय लिया जाता है कि परिषद के सदस्योंकी संख्या 21 से बढ़ाकर 27 की जाएगी. तो निश्चित रूप से भारत इसमें दावेदार होगा और व्यापक सदस्यता के निर्णय के अधीन होगा. सुधार की राहजटिल है लेकिन हम आगे बढ़ने की दिशा में स्थिर और सार्थक कदम उठा रहे हैं.उन्होंने कहा कि 1965 में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि केअलावा सुरक्षा परिषद का पहला दौर 80 वर्षों से अधिक समय तक चला है. सुधार के बाद परिषद जो भी रूप ले उसे अगली सदी तक टिकने के लिएडिजाइन किया जाना चाहिए. जो समावेशिता, पारदर्शिता, दक्षता, प्रभावशीलता, लोकतंत्र और जवाबदेही के सिद्धांतों पर आधारित हो.विस्तारितसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कितने सदस्य होने चाहिए. इसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र में कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि अलबनई ने कहा कि इस पर अभीतक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
दिखाई गई गति से उत्साहित
लेकिन जो संख्या बताई जा रही है वह 21 से 27 सदस्य देशों के बीच है उन्होंने कहा कि भारत का रुख हमेशा से ही टेक्स्ट-आधारित वार्ता की ओरजल्द से जल्द बढ़ने का रहा है.अलबनई ने कहा कि वे इस सत्र में सदस्य देशों द्वारा दिखाई गई गति से उत्साहित हैं. सुधार की भावना के लिए साहसऔर रचनात्मकता दोनों की आवश्यकता होती है. और सभी प्रतिनिधिमंडलों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है क्योंकि हम सुरक्षा परिषद सुधार केमुख्य तत्वों पर आम सहमति बनाने के लिए काम कर रहे हैं. अलबनई ने कहा कि वह यह नहीं बता सकते कि यह सुधार 2030 तक होगा या किसीअन्य वर्ष में मैं इस बात को लेकर बहुत सकारात्मक हूं कि जो भी बाधाएं हैं. उन्हें तोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि लोग समझ रहे हैं कि हमें कुछ अलगकरने की जरूरत है और सदस्य देश यह समझ रहे हैं.
विकास और मानवधिकारों से निपटने का एक ही सहारा
दरअसल शांति और सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों सहित सभी मुद्दों से निपटने के लिए विश्व समुदाय के पास यही सहारा है. हम सभी एक बेहतरसंयुक्त राष्ट्र बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया इसका एक अभिन्न अंग है.इसी सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में भारत केस्थायी प्रतिनिधि, पी. हरीश ने जी-4 देशों ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की ओर से एक बयान में आईजीएन की बैठक में कहा कि मौजूदासंयुक्त राष्ट्र संरचना एक अलग युग की है. जो अब अस्तित्व में नहीं है तथा वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताएं इस संरचना की समीक्षा की मांगकरती हैं. हरीश ने कहा कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता को वर्तमान 15 से बढ़ाकर 25 या 26 करने की जरूरत है. संशोधित परिषद में 11 स्थायीसदस्य और 14 या 15 अस्थायी सदस्य होने चाहिए.