आज पूरे देश में शहीद दिवस मनाया जा रहा है, एक दिन जब भारत के वीर सपूतों के बलिदानों को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता केलिए अपने प्राणों की आहुति दी। इसी अवसर पर चंद्र शेखर आजाद के पोते अमित आजाद ने 22 मार्च को अपने पूर्वज चंद्रशेखर आज़ाद की समाधिस्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने अपनी यात्रा का विवरण साझा करते हुए कहा, “आज मुझे गर्व और सौभाग्य महसूस हुआ कि मैंने अपने साथियों के साथ राष्ट्रमाता अमर हुतआत्मा चंद्रशेखर आज़ाद जी की माता जगरानी देवी जी की समाधि पर उनकी पुण्यतिथि पर जाकर पुष्प अर्पित किए।”
चंद्र शेखर आज़ाद के योगदान को किया याद
अमित आजाद ने इस दौरान चंद्र शेखर आज़ाद के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं को याद किया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रमाता वह होती हैं जिन्होंने अपनेबेटे को इस महा भारत के लिए बलिदान दे दिया। भगत सिंह जी की मां, राजगुरु जी की मां और कई अन्य माताओं ने अपने बेटों को इस स्वतंत्रतासंग्राम में बलिदान दिया। चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने जीवन को राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया, और आज उनका बलिदान हमें प्रेरित करता है।”
चंद्र शेखर आज़ाद ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने अपनी तपस्वी जीवनशैली से भी भारतीय समाज कोजागरूक किया। अमित आजाद ने उनके ब्रह्मचारी जीवन को याद करते हुए कहा कि वह डेढ़ वर्ष तक ओछा स्थित सतार तट पर रहे, जहां उन्होंनेस्वतंत्रता संग्राम की तैयारी की और शारीरिक व मानसिक रूप से अपने आपको तैयार किया। इस कुटिया में आज भी वो मिट्टी का बिस्तर और मिट्टी कातकिया मौजूद है, जिस पर चंद्रशेखर आज़ाद सोते थे।
चंद्र शेखर आज़ाद का तप और समर्पण
अमित आजाद ने इस दौरान सतार नदी के तट पर स्थित मंदिर और हनुमान जी की प्रतिमा की ओर भी इशारा किया। उन्होंने बताया, “यह वही स्थल हैजहां पर आज़ाद जी ने अपने हाथ से मंदिर का निर्माण किया और पूजा की। आज भी यहाँ की मिट्टी, कुआं और अन्य स्थल उनके तप और समर्पण कोयाद दिलाते हैं। उनके जीवन व्रत का परिचय यहाँ चारों तरफ दिया गया है।”
चंद्रशेखर आज़ाद ने जिस समय संघर्ष किया, उस समय के समाज और सरकार से वह पूरी तरह से असहमत थे। उनके अनुसार स्वतंत्रता संग्राम मेंशामिल लोगों को पूरी सम्मान और सम्मान मिलना चाहिए था। लेकिन आज भी उनके परिवार और शहीदों के साथ न्याय नहीं किया जा रहा है। अमितआजाद ने इस बारे में कहा, “आजाद जी ने देश के लिए अपना जीवन समर्पित किया, लेकिन सरकार उनके परिवार और शहीदों के योगदान को उचितसम्मान नहीं दे रही है। क्या यही है वो तरीका जिससे हम देश को बदलेंगे? क्या यह शहीदों का अपमान नहीं है?”
अमित आजाद का योगदान
अमित आजाद चंद्रशेखर आजाद की उस अमर धरोहर को जीवित रखने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। वह आज भी अपने पूर्वज के आदर्शों औरसंघर्ष को याद करते हुए नए भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं। चंद्रशेखर आजाद के परिवार के सदस्य के रूप में, अमित आजादने उनकी जयंती पर कई कार्यक्रमों और आयोजनों का आयोजन किया है ताकि लोगों को उनके बलिदान और समर्पण के बारे में जानकारी हो। उनकायह कार्य भारतीय युवाओं को प्रेरित करता है और उन्हें अपने देश के प्रति समर्पण और बलिदान का मूल्य समझाता है।
अमित आजाद का उद्देश्य न केवल चंद्रशेखर आजाद की धरोहर को संरक्षित करना है, बल्कि वह स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के प्रति न्याय और सम्मानकी भावना को भी बढ़ावा देना चाहते हैं। उनके इस प्रयास को समाज में और अधिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए, ताकि आगामी पीढ़ी भी उन बहादुरशहीदों के बलिदान को समझ सके और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सके। मगर वही दूसरी तरफ सरकार है जो शहीदों के परिवार पर ध्यान नहीं देरही क्या इसी प्रकार से हम देश को आगे बढ़ाएंगे सरकार को ध्यान देना होगा ।