
हाल ही में दिल्ली में कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए विश्वकर्मा समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।इस दौरान समाज के प्रतिनिधियों ने खुलकर अपनी समस्याएं साझा कीं, जिनमें पारंपरिक रोजगार का खत्म होना, अपमान का अनुभव, प्रतिनिधित्व कीकमी और मुख्यधारा से दूरी जैसे मुद्दे प्रमुख रहे।
सिर्फ प्रतिनिधित्व नहीं, सत्ता में भागीदारी भी जरूरी
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि केवल प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, बल्कि सत्ता के भीतर प्रभावशाली भागीदारी और सशक्त आवाज़ भी उतनी ही जरूरीहै। उन्होंने कांग्रेस के स्वतंत्रता संग्राम के मूल सिद्धांत ‘पूर्ण स्वराज’ का हवाला देते हुए कहा कि परिवर्तन की नींव मजबूत भागीदारी से ही रखी जासकती है।
सामाजिक न्याय की नींव
उन्होंने जोर देकर कहा कि जाति आधारित जनगणना इस दिशा में पहला और सबसे आवश्यक कदम है। इससे समाज की वास्तविक स्थिति सामनेआएगी और नीति निर्धारण उसी आधार पर होगा, जिससे प्रतिनिधित्व, भागीदारी और संसाधनों में हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सकेगी।
पार्टी के भीतर से शुरू होगा प्रतिनिधित्व
राहुल गांधी ने विश्वकर्मा समाज को आश्वस्त किया कि कांग्रेस इस सामाजिक बदलाव की लड़ाई में उनके साथ है। उन्होंने बताया कि पार्टी के भीतरप्रतिनिधित्व की शुरुआत पहले ही गुजरात में जिला स्तर पर की जा चुकी है और यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी आगे बढ़ाई जाएगी।
योग्य नेतृत्व को मिलेगा समर्थन
उन्होंने यह भी कहा कि जब विश्वकर्मा समाज के भीतर से ऐसे नेता सामने आएंगे, जिन्हें समुदाय का व्यापक समर्थन प्राप्त होगा, तभी असली बदलावकी शुरुआत होगी। यह बदलाव सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक सम्मान और समानता की दिशा में भी बड़ा कदम होगा।
सम्मान और समानता की यात्रा में कांग्रेस साथ
अंत में राहुल गांधी ने पिछड़े वर्गों और हुनरमंद समाज के साथ खड़े रहने के अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि कांग्रेस समाज के हर वंचित वर्ग कोउसकी वास्तविक पहचान और सम्मान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी को इस यात्रा में हिम्मत और एकता के साथ आगे बढ़ने का संदेशदिया।