भोपाल में एक जनसभा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि अमेरिका के पूर्वराष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फोन कॉल के बाद मोदी ने “सरेंडर” कर दिया। यह बयान उस समय आया जब देश हाल ही में संपन्न हुए ‘ऑपरेशनसिंदूर’ पर गर्व कर रहा था, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीमा के भीतर 300 किलोमीटर अंदर घुसकर 11 एयरबेस और 9 आतंकी ठिकानोंको तबाह किया था। इस ऑपरेशन में 150 से अधिक आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई थी। राहुल गांधीके इस बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे भारतीय सेना और 140 करोड़ देशवासियों का घोर अपमान बताया।उन्होंने कहा कि यदि ऐसा बयान किसी पाकिस्तानी से आता तो भी लोग हँसते, लेकिन एक भारतीय नेता द्वारा सेना के शौर्य को ‘सरेंडर’ कहनाराष्ट्रविरोध जैसा है।
जेपी नड्डा ने राहुल गांधी को ‘सरेंडर’ की परंपरा की याद दिलाते हुए कांग्रेस के अतीत का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि 1948 में कश्मीर मसले पर, 1962 में चीन के सामने, 1971 की जीत के बावजूद शिमला समझौते में, हाजी पीर दर्रे की वापसी में और सिंधु जल संधि जैसे मामलों में कांग्रेस नेदेश के हितों के साथ समझौता किया। उन्होंने कहा कि ‘सरेंडर’ शब्द कांग्रेस की डिक्शनरी में है, भारत की नहीं। इसके जवाब में राहुल गांधी ने भाजपाऔर संघ को ‘कायर’ करार देते हुए कहा कि हल्का सा दबाव पड़ते ही ये भाग जाते हैं। उन्होंने 1971 के युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि इंदिरागांधी ने अमेरिका के सेवंथ फ्लीट की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। राहुल ने यह भी कहा कि कांग्रेस झुकती नहीं, लड़तीहै – जैसा नेहरू, पटेल और गांधी ने करके दिखाया था।
इस बयान को लेकर भाजपा नेताओं में तीखा आक्रोश फैल गया। प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर सेना का अपमान करने का आरोप लगायाऔर यहां तक कहा कि क्या वे किसी विदेशी एजेंडे पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस सरकार की 26/11 के बाद की प्रतिक्रिया को निष्क्रिय बतायाऔर दावा किया कि अब मोदी सरकार डोजियर नहीं, ठोस जवाब देती है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राहुल को ‘पप्पू’ कहते हुए कहा कि ऐसेगैरजिम्मेदार बयान उन्हें गंभीरता से लेने लायक नहीं छोड़ते। वहीं, भाजपा विधायक भगवान दास सबनानी ने राहुल गांधी की राजनीतिक परिपक्वता परसवाल उठाया।
भोपाल में जहां कांग्रेस ने ‘संगठन सृजन अभियान’ की शुरुआत की थी, वहीं यह बयान अब कांग्रेस के उस कार्यक्रम से भी बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनगया है। राहुल गांधी ने इस अभियान के तहत कार्यकर्ता-आधारित नेतृत्व और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बात की, लेकिन भाजपा ने इसे भी व्यंग्य कानिशाना बनाते हुए कहा कि पहले “बुद्धि का सृजन करो, फिर संगठन की बात करो।” कुल मिलाकर, राहुल गांधी के ‘सरेंडर’ वाले बयान ने न केवलराजनीतिक भूचाल खड़ा किया बल्कि एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा को राष्ट्रवाद और सैन्य सम्मान की बहस में आमने-सामने ला खड़ा किया है।