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पिछले करीब एक सप्ताह से हिंसा की आग में जल रहे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के धूलियान शहर में शुक्रवार को तनावपूर्ण शांति दिखी. भारीसंख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. हिंदू क्षेत्र हो या फिर मुस्लिम क्षेत्र दोनों ही जगह लोगों में भय और डर का माहौल है. दोनों समुदाय केलोग चाहते हैं शांति, भाईचारा और मिलजुल कर रहना रीना बीबी कहती हैं. पता नहीं हमारे धूलियान को किसकी नजर लग गई. घर में हम भी बंद हैं, नुकसान सभी का है. उपद्रवियों को ढूंढ़कर निकाला जाए और जो भी हो दंडित किया जाए.हिंसा के दूसरे दिन सरजू महलदार को पैर में गोली लगी।बताया कि शाम को 6 बजे की नमाज के बाद जैसे ही वह मस्जिद से निकल रहा था. इसी दौरान कहीं से गोली आई और उसके पैर में लगी. उसके पैरमें 60 टांके लगे हैं। उसका भाई हजरत देखने पहुंचो तो उसे पीठ पर किसी छर्रे जैसी किसी चीज से उसे चोट लगी. इसी तरह से इसी वार्ड के सातवर्षीय अख्तर महलदार के गर्दन में चोट लगी.धूलियान की वार्ड नंबर चार हाथीचित्रा की रीना बीबी कहती हैं पता नहीं हमारे धूलियान को किसकीनजर लग गई है.

देश की ताकत है एकता
हमारे देश की ताकत ही एकता में है भाईचारा हमारी सभ्यता है. धूलियान में कभी ऐसा नहीं हुआ जैसा कि पिछली शुक्रवार को हुआ. दिल दुखता हैमन भरा हुआ है. हम एक साथ मिलकर हर पर्व मनाते हैं. दीपावली में हम हिंदुओं के घर जाते हैं और ईद पर वे हमारे यहां आते हैं. उपद्रवियों कोखोजकर सजा दी जाए.आपको बाहर से शांति भले ही दिखाई दे रही हो लेकिन यह शांति सुरक्षाबलों के चलते है. पिछले शुक्रवार की घटना को यादकरते हुए वार्ड नंबर 5 की विभा अग्रवाल कहती है उस दिन की घटना याद करके जी सिहर उठता है. अगर उस वक्त घर का दरवाजा बंद नहीं होता तोहमारी लाश ही मिलती हम डर के साए में जी रहे हैं.मोहम्मद जमीरुद्दीन कहते हैं हम हिंदू और मुस्लिम हजारों सालों से एक साथ मिलकर रहते हैं. यहजो इतनी बड़ी घटना हो गई इसके लिए कौन जिम्मेदार है. अच्छे से जांच होनी चाहिए जो भी हो उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए. चाहे वहकिसी भी धर्म का हो हर किसी ने कुछ न कुछ खोया है.

प्रशासन दें कड़ी से कड़ी सजा
हम भी तो इसी धरती के हैं हम कहीं बाहर से तो नहीं आए हैं जब कोई कहता है कि मुसलमान दंगाई हैं तो दिल बहुत दुखता है. रुआंसे जमीरुद्दीनकहते हैं हमारी दुकान है. हिंदू भी हमारे कस्टमर हैं हम भी तो ईद में हिंदुओं की दुकान से सामन लाते हैं. पता नहीं क्या हो गया इसके मास्टर माइंड कोखोजे प्रशासन और कड़ी से कड़ी सजा दे. इस हिंसा ने हमारी पढ़ाई छीन ली हैजबसे हिंसा हुई है, कॉलेज बंद हैं इसलिए जा नहीं पा रही हूं. इंटरनेटबंद हैं मेरी जैसे हजारों बच्चों की पढ़ाई छीन गई है इसमें हमारा क्या दोष है अगर रास्ते में चली भी जाउं तो गोलीबारी हो रही है. सरकार से कहनाचाहती हूं कि ये सब बंद किया जाए शांति हो जाए हमको पढ़ने का मौका मिले यह सब कुछ कब तक चलेगा.

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