नई दिल्ली: राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता और सांसद श्री प्रमोद तिवारी ने मातृ दिवस के अवसर पर स्वर्गीय इंदिरा गांधी की 1971 की निर्णायकभूमिका को स्मरण करते हुए मौजूदा केंद्र सरकार से कई गंभीर सवाल पूछे हैं। उन्होंने बांग्लादेश के निर्माण में इंदिरा गांधी के नेतृत्व को याद करते हुएकहा कि जब अमेरिका ने सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में उतारा, तब भी भारत की प्रधानमंत्री झुकी नहीं और भारतीय सेना तब तक आगे बढ़ती रहीजब तक 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण नहीं कर दिया।
‘संघर्षविराम की घोषणा दिल्ली से होनी चाहिए थी’
प्रमोद तिवारी ने हाल ही में पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या पर दुख व्यक्त किया और सवाल उठाया कि जब देश शोक में था और सेनानिर्णायक कार्रवाई कर रही थी, तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि यह सूचना थी या आदेश, यहस्पष्ट होना चाहिए, लेकिन देश को अपेक्षा थी कि संघर्षविराम की जानकारी सबसे पहले नई दिल्ली से आती।
संसद का विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक की मांग
श्री तिवारी ने केंद्र सरकार से मांग की कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और संसद का विशेष सत्र आयोजितकिया जाए, जिससे वाशिंगटन डीसी में हुई घोषणा, भारत-पाकिस्तान द्वारा घोषित संघर्षविराम और पहलगाम ऑपरेशन ‘सिन्दूर’ पर खुलकर चर्चा होसके।
क्या तीसरी पार्टी को मंजूरी दी गई है?
उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा भारत-पाकिस्तान संवाद के लिए ‘तटस्थ मंच’ की बात पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अब भारतने शिमला समझौते को पीछे छोड़ दिया है और क्या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार कर ली गई है? कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि पाकिस्तान के कब्जेवाला कश्मीर (POK) भारत का अभिन्न अंग है।
सरकार की नीतियों पर जवाबदेही की मांग
श्री तिवारी ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक वार्ता दोबारा शुरू हो रही है, और यदि हां, तो पाकिस्तान से क्या गारंटियां ली गई हैं और हमें क्या प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि पूर्व सैन्य प्रमुखों द्वारा हाल की परिस्थितियों पर की गईटिप्पणियों को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री को स्वयं जनता के सामने जवाब देना चाहिए।