मणिपुर के चंदेल जिले में भारतीय सेना ने हाल ही में एक बड़ी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है, जिसमें 10 उग्रवादियों को मार गिराया गया। यहऑपरेशन भारत-म्यांमार सीमा के समीप स्थित नक्सली और उग्रवादी ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया। यह कदम सीमा सुरक्षा को मजबूत करनेके साथ-साथ उग्रवादी गतिविधियों को कम करने के लिए उठाया गया है।
ऑपरेशन की पृष्ठभूमि
चंदेल जिले में पिछले कुछ समय से उग्रवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई थी। यह क्षेत्र भारत-म्यांमार सीमा के नजदीक होने के कारण नक्सली औरअन्य उग्रवादी समूहों के लिए एक रणनीतिक ठिकाना माना जाता है। इन समूहों ने सीमा पार से हथियारों और अन्य संसाधनों की आपूर्ति प्राप्त की है, जिससे उनके प्रभाव में वृद्धि हुई थी। इस वजह से सुरक्षा बलों ने इस इलाके में विशेष अभियान चलाने का फैसला लिया।
ऑपरेशन की शुरुआत और रणनीति
सेना ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर म्यांमार की सीमा के नजदीक स्थित उग्रवादी छिपे होने की सूचना पाई। इसके बाद विशेष रूप से प्रशिक्षितसेना की इकाइयों को इलाके में भेजा गया। ऑपरेशन की योजना बड़ी सूझ-बूझ और सटीक जानकारी के साथ बनाई गई थी, जिसमें इलाके को चारोंतरफ से घेरकर उग्रवादियों को पकड़ने का प्रयास किया गया।
ऑपरेशन के दौरान सेना ने इलाके में ड्रोन और अन्य तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग किया, जिससे उग्रवादियों की गतिविधियों पर नजदीकी नजररखी जा सके। इस प्रकार के हाईटेक उपकरणों ने ऑपरेशन को और भी प्रभावी बनाया।
मुठभेड़ और परिणाम
सेना और उग्रवादियों के बीच कई घंटे चली मुठभेड़ के बाद सेना ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया। ये उग्रवादी विभिन्न नक्सली और उग्रवादी समूहोंसे जुड़े थे, जो क्षेत्र में अशांति फैलाने और सुरक्षा बलों पर हमले करने की योजना बना रहे थे। मुठभेड़ के दौरान सेना को कुछ हथियार और विस्फोटकभी बरामद हुए, जो उग्रवादियों के बड़े साजिश का संकेत देते हैं।
सेना ने बताया कि इन उग्रवादियों के मार गिराए जाने से न केवल स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र में शांति बहाल करने में भी मददमिलेगी। इसके अलावा, इस कार्रवाई से नक्सली और उग्रवादी समूहों को एक कड़ा संदेश गया है कि वे भारत की सीमा सुरक्षा को चुनौती नहीं देसकते।
स्थानीय प्रभाव और प्रतिक्रिया
चंदेल जिले के स्थानीय लोग इस ऑपरेशन को लेकर सुरक्षा बलों की सराहना कर रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि उग्रवादियों की मौजूदगी ने क्षेत्र केविकास को रोक दिया था और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव डाला था। इस बड़ी कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों को उम्मीद हैकि अब वे अपने दैनिक जीवन को अधिक सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से जी सकेंगे।
सेना की सतर्कता और आगे की कार्रवाई
सेना ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह ऑपरेशन न केवल एक बार की कार्रवाई है, बल्कि इलाके में उग्रवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए निरंतरसतर्कता और अभियान जारी रहेंगे। सुरक्षा बल इलाके में लगातार निगरानी रखेंगे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तत्काल कार्रवाई करेंगे।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि म्यांमार के साथ सीमा पर सहयोग बढ़ाया जा रहा है ताकि दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां मिलकर उग्रवादी गतिविधियोंको रोक सकें। सीमा पार से हथियारों की तस्करी और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क को भी निशाना बनाया जाएगा।
भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा का महत्व
भारत और म्यांमार की सीमा लगभग 1,643 किलोमीटर लंबी है, जो कई घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से होकर गुजरती है। इस सीमा क्षेत्र मेंनक्सली और अन्य उग्रवादी संगठन अपने ठिकाने बनाए रखते हैं, जिनसे सुरक्षा बलों को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इस क्षेत्रमें सुरक्षा के कड़े इंतजाम रखना आवश्यक है।
दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग के तहत नियमित संवाद और संयुक्त अभियान भी चलाए जाते हैं ताकि सीमा पार से होने वाली किसी भी प्रकार कीआतंकवादी या उग्रवादी गतिविधि को प्रभावी ढंग से रोका जा सके।