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हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की जान चली गई। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान केबीच राजनयिक संबंधों में भारी गिरावट आई। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया, वहीं पाकिस्तान ने इसआरोप को सिरे से खारिज कर दिया। इसके तुरंत बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए — जिनमें व्यापारिक प्रतिबंध, डाक सेवाओंकी समाप्ति और बंदरगाहों तक पहुंच रोकने जैसे निर्णय शामिल थे।

पाकिस्तान का जवाब: अब्दाली मिसाइल का परीक्षण
तनावपूर्ण माहौल में पाकिस्तान ने ‘अब्दाली’ नामक सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। इस मिसाइल कीमारक क्षमता लगभग 450 किलोमीटर बताई जा रही है और यह उन्नत नेविगेशन प्रणाली से युक्त है। पाकिस्तान की सेना ने इसे रूटीन टेस्ट बताया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह परीक्षण भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश है।

रणनीतिक संदेश या डराने की कोशिश?
विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान का यह कदम केवल सैन्य क्षमता के प्रदर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक रणनीति भी हो सकतीहै। भारत ने हाल ही में अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसकी पहुंच 5000 किलोमीटर तक है और जो कई परमाणु हथियार ले जाने मेंसक्षम है। ऐसे में पाकिस्तान का अब्दाली मिसाइल परीक्षण इस शक्ति संतुलन को दर्शाने का प्रयास माना जा सकता है।

राजनयिक संबंधों में टूटन
इस घटना के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। हवाई और सड़क मार्गों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, औरव्यापारिक गतिविधियां लगभग ठप हो चुकी हैं। दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत बंद है, जिससे हालात और अधिक गंभीर होते जा रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: तनाव घटाने की अपील
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सहित कई वैश्विक संस्थाओं ने इस स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने दोनों देशों के नेताओं सेफोन पर बातचीत कर संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी मध्यस्थता की पेशकश करते हुए कहा है कि दक्षिण एशिया मेंशांति बनाए रखना वैश्विक जिम्मेदारी है।

क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ऐसे में किसी भी स्तर का टकराव केवल सीमित संघर्ष नहीं रह सकता। यदि बातचीत सेसमाधान नहीं निकाला गया, तो यह संकट एक बड़े सैन्य संघर्ष में बदल सकता है, जिसका असर पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर पड़ेगा।

आगे की राह: शांति और संवाद
हालात जितने तनावपूर्ण हों, समाधान युद्ध नहीं बल्कि संवाद ही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाए।भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो, इसके लिए कूटनीतिक माध्यमों को अपनाना अनिवार्य हो गया है।

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