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10 जून 2025 को भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अपने तीन साथियों के साथ स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) कीओर उड़ान भरेंगे। यह मिशन Ax-4 के अंतर्गत आता है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ भविष्य के स्पेस स्टेशन के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्णभूमिका निभाएगा।

ISS का इतिहास और विशेषताएँ
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, जिसे दुनिया का सबसे महंगा सरकारी परियोजना माना जाता है, पर लगभग 100 अरब डॉलर का निवेश किया गया है।इसे लगभग 13 वर्षों में तैयार किया गया था और 2000 से लगातार इसमें अंतरिक्ष यात्री रह रहे हैं। ISS पृथ्वी की कक्षा में 400 से 450 किलोमीटरकी ऊंचाई पर है और इसका आकार एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है। हालांकि, इसमें एक समय में केवल छह अंतरिक्ष यात्री ही रह सकते हैं। यहस्टेशन 2030 तक काम करता रहेगा, उसके बाद इसे समुद्र में गिरा दिया जाएगा क्योंकि इसकी उम्र पूरी हो जाएगी।

Ax-4 मिशन के उद्देश्य
Ax-4 मिशन 14 दिनों का होगा, जो ISS पर लंबे समय तक रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की तुलना में कम अवधि का है, लेकिन इस दौरान टीम 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग और गतिविधियां करेगी। इस मिशन में 31 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदीअरब, नाइजीरिया, यूएई और यूरोप के कई देश शामिल हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा अनुसंधान होगा जो एक्सिओम स्पेस मिशन के तहत ISS परकिया जाएगा।

प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र
इस मिशन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर अध्ययन होगा, जिनमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का मस्तिष्क पर प्रभाव, हृदय और मांसपेशियों का अंतरिक्ष मेंअनुकूलन, आंख और हाथ के बीच समन्वय, डायबिटीज मरीजों के लिए रक्त ग्लूकोज प्रबंधन और कैंसर अनुसंधान शामिल हैं। खासतौर पर ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर पर ध्यान दिया जाएगा, जो पिछले मिशन Ax-2 में कोलोरेक्टल कैंसर के अध्ययन के बाद एक नया विषय है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और क्रू सदस्य
Ax-4 मिशन वैश्विक सहयोग का भी प्रतीक है। इस मिशन की कमान अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन संभालेंगी, जबकि शुभांशु शुक्ला (भारत), स्लावोस उज्नांस्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) मिशन के सदस्य हैं। ये देश लंबे समय बाद अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

भविष्य का स्पेस स्टेशन
Ax-4 मिशन नए स्पेस स्टेशन के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा। एक्सिओम स्पेस 2027 में पहला मॉड्यूल लॉन्च करेगा, जो पावर, तापमाननियंत्रण और भंडारण की सुविधा देगा। इसके बाद अगले तीन वर्षों में एयरलॉक, आवास और अनुसंधान से संबंधित अन्य मॉड्यूल भी लॉन्च किएजाएंगे। ISS के 2030 में समाप्त होने के बाद, नया एक्सिओम स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में स्वतंत्र प्रयोगशाला के रूप में कार्य करेगा।

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