भारत आतंकवाद को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ एक बार फिर बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। सरकार फाइनेंशियल एक्शनटास्क फोर्स (FATF) से पाकिस्तान को पुनः ग्रे लिस्ट में शामिल करने की मांग कर रही है। यह प्रयास उस आरोप के तहत हो रहा है कि पाकिस्तानआतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने में असफल रहा है।
2018 में ग्रे लिस्ट और 2022 में बाहर
पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था क्योंकि उस पर आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर काबू पाने में नाकामी काआरोप था। इसके चलते उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2022 में उसने FATF की 34-सूत्रीय कार्य योजना कोपूरा करने के बाद यह सूची छोड़ दी, जिससे IMF, विश्व बैंक और अन्य संस्थानों से आर्थिक सहायता प्राप्त करना आसान हो गया।
भारत के आरोप और रणनीति
नई दिल्ली का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा प्राप्त वित्तीय सहायता का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों में हो रहा है। भारत ने FATF में पाकिस्तानको दोबारा ग्रे लिस्ट में डालने के लिए मजबूत अभियान शुरू कर दिया है। साथ ही, भारत विश्व बैंक से पाकिस्तान को दी जाने वाली संभावित सहायताका भी विरोध कर रहा है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस दिशा में कड़ा रुख अपनाया है और अन्य सदस्य देशों का समर्थन जुटानेके लिए सबूत एकत्र कर रहा है।
ग्रे लिस्ट में वापसी के संभावित प्रभाव
अगर पाकिस्तान को दोबारा FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाता है, तो इसके गंभीर आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। इससे विदेशी निवेश में गिरावट आसकती है और कर्ज प्राप्त करना और कठिन हो जाएगा, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और अधिक जर्जर हो सकती है।
IMF की नई शर्तें और भारत का दबाव
वर्तमान में पाकिस्तान IMF से राहत पैकेज की अगली किस्त पाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके लिए उसे 11 नई कड़ी शर्तों का सामना करनापड़ रहा है। इनमें 17,600 अरब रुपये का नया बजट पास कराना, बिजली बिलों पर अधिभार बढ़ाना और तीन साल से पुरानी कारों के आयात परप्रतिबंध हटाना शामिल हैं। IMF ने यह भी चेताया है कि भारत के साथ तनाव से पाकिस्तान की आर्थिक योजनाओं पर खतरा बढ़ सकता है।