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भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण आने वाला है, जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom Mission 4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे। यह मिशन मई में लॉन्च किया जाएगा, जिसमें भारत, पोलैंड, हंगरी और अमेरिका केचार अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। शुभांशु शुक्ला इस मिशन में मिशन पायलट की भूमिका निभाएंगे और अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे।यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी, क्योंकि 40 साल बाद किसी भारतीय को यह अवसर मिलेगा। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा नेसोवियत संघ के अंतरिक्ष यान से यात्रा की थी।

Ax-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला के साथ पोलैंड के स्लावोज उज्नांस्की और हंगरी के तिबोर कापु मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल होंगे, जबकि अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी विटसन इस मिशन की कमांडर होंगी। सभी अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से उड़ान भरेंगे, जिसेफाल्कन-9 रॉकेट के जरिए अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से प्रक्षेपित किया जाएगा। लॉन्च की सटीक तारीख नासा और Axiom Space द्वारा अंतिम अनुमोदन के बाद घोषित की जाएगी।

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीकी परीक्षण करना है। माइक्रोग्रैविटी में जैविक और भौतिक विज्ञान से जुड़े शोधकिए जाएंगे, जिससे वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी। इसके साथ ही, नई अंतरिक्ष तकनीकों और उपकरणों का परीक्षण किया जाएगा, जो भविष्य के अभियानों के लिए उपयोगी साबित होंगे। इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की भी योजनाहै।

Axiom Space एक अमेरिकी निजी अंतरिक्ष कंपनी है, जो भविष्य में वाणिज्यिक स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। अबतक इस कंपनी ने तीन सफल अंतरिक्ष मिशन पूरे किए हैं—Ax-1 (अप्रैल 2022), Ax-2 (मई 2023) और Ax-3 (जनवरी 2024)। अब Ax-4 इस श्रृंखला का चौथा मिशन होगा, जिसमें पहली बार एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री शामिल होगा।

शुभांशु शुक्ला की यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के लिए एक वैज्ञानिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। यह मिशन न केवल भारत कीवैश्विक वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा, बल्कि गगनयान मिशन और अन्य अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं भी खोलेगा। इस मिशन से भारतको वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान और वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा, जिससे भविष्य में देश की अंतरिक्षप्रौद्योगिकी को और मजबूती मिलेगी।

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