
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने राजधानी में सरकार बनाते ही पुरानीगाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय ले लिया था और अब कोर्ट के आदेश का बहाना बनाकर जनता को भ्रमित कर रही है।
उन्होंने बताया कि एक मार्च को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने ऐलान किया था कि 31 मार्च के बाद पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल या डीज़ल नहींमिलेगा, जबकि जिस सीएक्यूएम आदेश का हवाला अब दिया जा रहा है, वह तो 23 अप्रैल को जारी हुआ। इससे साफ है कि निर्णय पहले ही लेलिया गया था और अब ऑटोमोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि वर्ष 2015 में एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल से पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन तबआम आदमी पार्टी की सरकार ने जनहित को प्राथमिकता दी और ऐसे कोई कठोर प्रतिबंध नहीं लगाए। लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के कुछही महीनों के भीतर पेट्रोल-डीज़ल आपूर्ति पर रोक लगाकर जनता को नई गाड़ी खरीदने के लिए मजबूर किया।
सीएक्यूएम का आदेश भाजपा सरकार की रणनीति का हिस्सा था
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने केंद्र के अधीन काम करने वाले सीएक्यूएम से मिलकर पहले से ही पूरी योजना बना ली थी। इसके तहत23 अप्रैल को एक पत्र लेकर औपचारिकता पूरी की गई, जबकि मंत्री पहले ही घोषणा कर चुके थे। यह दर्शाता है कि यह कदम सुनियोजित था औरइसका उद्देश्य था लाखों नई गाड़ियों की बिक्री कराना।
भ्रष्टाचार की आशंका, जांच की मांग
आप नेता ने मांग की कि इस पूरे निर्णय प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच कराई जाए, क्योंकि यह एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है। उन्होंने पूछा किआखिर यह योजना किसने बनाई, किन अधिकारियों या नेताओं की भूमिका थी, और किसे आर्थिक लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई।
थ्री व्हीलर नीति पर भी यू–टर्न
सौरभ भारद्वाज ने याद दिलाया कि सरकार बनने के बाद भाजपा ने थ्री व्हीलर वाहनों पर भी ऐसा ही तुगलकी आदेश जारी किया था, जिसके तहतकेवल इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर की अनुमति दी गई और पुराने वाहन हटाने की कोशिश की गई। लेकिन ऑटो चालकों के विरोध के बाद सरकार को वहनिर्णय भी वापस लेना पड़ा।
जनता के विरोध के बाद यू–टर्नउन्होंने कहा कि भाजपा मंत्री ईंधन प्रतिबंध को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे थे और जनता पर धौंस जमाई जा रही थी। लेकिन जैसे हीदिल्लीवासियों ने विरोध किया, सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा और पुरानी गाड़ियों पर लगाया गया प्रतिबंध वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि 03 जुलाई को मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा सीएक्यूएम को लिखा गया पत्र केवल लीपापोती है और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है।