प्रधानमंत्री मोदी का महाकुंभ पर संबोधन: भारत की सामूहिक चेतना का उत्सव
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में हुए महाकुंभ के सफल आयोजन पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन कोभारत की सामूहिक शक्ति, श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और प्रयागराजकी जनता का धन्यवाद किया, जिन्होंने महाकुंभ के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1. सामूहिक प्रयास की महिमा: महाकुंभ की सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज मैं महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए देशवासियों को कोटि-कोटि नमन करता हूं, जिनकी मेहनत और योगदान से यहआयोजन संभव हुआ। महाकुंभ की सफलता में सरकार, समाज और हर कर्मयोगी का योगदान है। मैं विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और प्रयागराज कीजनता का धन्यवाद करता हूं।”
महाकुंभ एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 साल में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होता है। यह केवल एक धार्मिकघटना नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को भारत की विराटता का उदाहरण बतातेहुए कहा कि यह “सबका प्रयास” का जीवंत रूप है।
महाकुंभ ने यह साबित किया कि जब देश के लोग मिलकर किसी उद्देश्य के लिए काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती। यह आयोजनन केवल भारत की धार्मिक विविधता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है।
2. भारत के वैश्विक स्वरूप का दर्शन
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को लेकर कहा, “पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप को देखा। यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात रूप है, जोजनता जनार्दन की श्रद्धा और संकल्पों से प्रेरित था। महाकुंभ ने हमारी राष्ट्रीय चेतना को जागरूक किया और यह एक बड़ा संदेश था।”
महाकुंभ ने न केवल भारत की आध्यात्मिक समृद्धि को प्रस्तुत किया, बल्कि यह देश के समग्र सामर्थ्य और शक्ति का भी प्रतीक बन गया। प्रधानमंत्रीमोदी ने महाकुंभ को भारत के आत्मविश्वास और वैश्विक मंच पर भारत के प्रभाव का प्रतीक माना।
3. महाकुंभ और राष्ट्रीय चेतना का जागरण
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को भारत की राष्ट्रीय चेतना और सामूहिक शक्ति से जोड़ा। उन्होंने कहा, “महाकुंभ के आयोजन ने हमारी राष्ट्रीय चेतना कोजागृत किया है। यह आयोजन हमें बताता है कि जब हम सब एकजुट होकर प्रयास करते हैं, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह केवलधार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारत के समाज की सामूहिक चेतना का प्रतीक है।”
उन्होंने आगे कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजन राष्ट्रीय एकता और सामूहिक शक्ति के महत्व को रेखांकित करते हैं। ये आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि सेमहत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि वे समाज में एकता और संकल्प की भावना को भी मजबूत करते हैं।
4. भारत की प्रगति और महाकुंभ की प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के आयोजन को भारत की प्रगति और सामर्थ्य के संदर्भ में भी जोड़ा। उन्होंने कहा, “पिछले वर्ष अयोध्या में राम मंदिर कीप्राण प्रतिष्ठा समारोह ने हमें यह अहसास कराया कि हमारा देश अगले 1000 वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इस वर्ष महाकुंभ ने हमारी सोच को औरमजबूत किया है, और यह हमें बताता है कि देश की सामूहिक चेतना हमें हमारे सामर्थ्य के बारे में बताती है।”
महाकुंभ ने यह संदेश भी दिया कि भारत की सामूहिक चेतना और सद्भावना के माध्यम से हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि भारत न केवल धार्मिक रूप से एकजुट है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी प्रगति कीदिशा में अग्रसर है।
5. गंगा जल की महिमा और अंतरराष्ट्रीय एकता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी बताया कि पिछले हफ्ते जब वह मॉरीशस गए थे, तो उन्होंने महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम से पवित्र गंगाजल लिया और उसे मॉरीशस के गंगा तालाब में मिलाया। उन्होंने कहा, “जब इसे मॉरीशस में गंगा तालाब में मिलाया गया, तो वह दृश्य अत्यंत अद्भुतथा। यह हमें यह दिखाता है कि हमारी संस्कृति का उत्सव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि गंगा जल का यह संगम न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक औरऐतिहासिक संबंधों को भी प्रगाढ़ करता है। उन्होंने यह बताया कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और धार्मिक विश्वासों का प्रसार केवल भारत तक सीमितनहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में एकता और सद्भाव का संदेश देता है।
महाकुंभ का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के सफल आयोजन को भारत की सामूहिक शक्ति और एकता का प्रतीक बताया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि सेमहत्वपूर्ण था, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक सामर्थ्य को भी दर्शाता है। महाकुंभ का आयोजन दुनिया भर में भारत कीसांस्कृतिक धरोहर, विविधता और एकता को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि महाकुंभ का आयोजन “सबका प्रयास” का जीवंत उदाहरण था, जो भारत की सामूहिक चेतना और राष्ट्रीय जागरूकता कोजागृत करता है। यह आयोजन हमें बताता है कि जब हम सब मिलकर प्रयास करते हैं, तो कोई भी उद्देश्य हासिल किया जा सकता है। महाकुंभ केवलएक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, एकता और प्रगति की दिशा में एक कदम और था।