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सदियों पुरानी परंपरा और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा इस बार एक दर्दनाक हादसे की वजह से सुर्खियों में है।रविवार तड़के करीब 4 बजे, गुंडिचा मंदिर के सामने भगदड़ मचने से तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। छहघायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसा उस समय हुआ जब भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ मंदिर परिसर में प्रवेश कर चुका था और भारीसंख्या में श्रद्धालु रथ के दर्शन के लिए एक साथ आगे बढ़ने लगे।

कैसे हुआ हादसा, मिनट-दर-मिनट घटनाक्रम
रविवार सुबह करीब 4 बजे जब भगवान जगन्नाथ का रथ गुंडिचा मंदिर के निकट पहुंचा, पहले से मौजूद भारी भीड़ अचानक तेजी से रथ की ओर भागनेलगी। इससे मौके पर अराजकता फैल गई और कई श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरने लगे। भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस बल और बैरिकेडिंग न होनेके कारण हालात बिगड़ते चले गए। मृतकों की पहचान बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास के
रूप में हुई है।

अस्पतालों में अफरा-तफरी, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
घायलों को तात्कालिक रूप से पुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां छह लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल के बाहरपरिजन अपने प्रियजनों के लिए व्याकुल दिखे और कई ने लापरवाही के खिलाफ प्रशासन को कोसा।

भीड़ प्रबंधन में पुरानी लापरवाहियां दोहराईं गईं
पुरी रथयात्रा के दौरान भीड़ नियंत्रण की कमी कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसे हो चुके हैं। पिछले वर्ष 2024 में 7 जुलाईको भी भगदड़ में दो लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे। वहीं 2008 में सिंहद्वार के सामने भगदड़ में छह श्रद्धालुओं की जान चली गईथी।

पूर्व चेतावनी के बावजूद नहीं लिया सबक
इस वर्ष भी पहले ही संकेत मिलने लगे थे कि भीड़ नियंत्रण की स्थिति नाजुक हो सकती है। शुक्रवार, 27 जून को देवी सुभद्रा के रथ के पासअत्यधिक भीड़ के चलते 625 से अधिक श्रद्धालु अस्वस्थ हो गए थे, जिनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और 9 की हालत गंभीर थी।शनिवार को भी एक श्रद्धालु की हालत बिगड़ने पर रेस्क्यू टीम को उसे अस्पताल पहुंचाना पड़ा।

रथयात्रा का कार्यक्रम और भीड़ का दबाव

पुरी की रथयात्रा में तीनों देवताओं—बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ—के रथों को गुंडिचा मंदिर तक लाया जाता है, जहां वे नौ दिनों तक ठहरते हैं। 27 जून को रथयात्रा की शुरुआत हुई थी और रविवार तड़के जब भगवान जगन्नाथ का अंतिम रथ मंदिर पहुंचा, तो दर्शन की होड़ में हादसा हो गया।

प्रशासन पर उठे सवाल, श्रद्धालुओं में आक्रोश
प्रत्यक्षदर्शियों और श्रद्धालुओं का आरोप है कि प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए थे। न ही भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त पुलिस बलमौजूद था और न ही रथों के आसपास उचित बैरिकेडिंग की व्यवस्था थी। एक चश्मदीद ने बताया, “हम सुबह 3 बजे से लाइन में थे, लेकिन जबभगवान का रथ निकट आया, सभी बेकाबू हो गए और कोई नियंत्रण में नहीं था।”

सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
फिलहाल सरकार की ओर से कोई आधिकारिक मुआवजे या जांच समिति की घोषणा नहीं की गई है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नवीनपटनायक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। श्रद्धालुओं और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से तत्काल प्रभावी भीड़प्रबंधन नीति लागू करने की मांग की है।

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