सैनिक अड्डों और वायु रक्षा प्रणाली पर भारत के हमलों से घबराए पाकिस्तान ने अमेरिका से संघर्ष विराम के लिए गुहार लगाई थी. जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस संबंध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की तो उन्होंने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि पाकिस्तान के हर दुस्साहस काजवाब देंगे. दरअसल पाकिस्तान की ओर से परमाणु हमले का खतरा मानकर अमेरिका पाकिस्तान की इस पेशकश को स्वीकार कर खुद ही शांतिबहाली के लिए दोनों देशों के बीच कूद गया. जब वेंस ने दो दिन पहले कहा था कि हम संघर्ष के बीच में नहीं पड़ेंगे। यह दोनों देशों के बीच कामामला है तो अमेरिका को खतरा बढ़ने के आसार दिखने लगे. इसी बीच पाकिस्तान ने संघर्षविराम की बात की और अमेरिका तत्काल आगे आया वेंसऔर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दोनों देशों के अफसरों से बात शुरू कर दी थी. पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र में हमले के लिए 400 से 500 ड्रोन भेजे लेकिन चिंता की सबसे बड़ी वजह शुक्रवार देर रात पैदा हुई. जब पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान एयर बेस पर धमाके हुए यहइस्लामाबाद से सटा हुआ शहर है यह एयर बेस पाकिस्तान के लिए काफी अहम है क्योंकि यह उसकी सेना के लिए केंद्रीय परिवहन केंद्रों में से एक हैऔर हवा में ईंधन भरने की क्षमता का घर है.
पाकिस्तान को परमाणु कमार प्रधिकरण से है डर
दरअसल इसके साथ ही यह पाकिस्तान के रणनीतिक योजना प्रभाग के मुख्यालय से भी कुछ ही दूरी पर है जो देश के परमाणु शस्त्रागार की देखरेखऔर सुरक्षा करता है. पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से लंबे समय से परिचित एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादाडर अपने परमाणु कमान प्राधिकरण के खत्म हो जाने का है. नूर खान पर मिसाइल हमले को एक चेतावनी के रूप में देखा गया कि भारत ऐसा कर भीसकता है. यह साफ नहीं है कि क्या अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने संघर्ष के तेजी से बढ़ने तथा संभवत परमाणु हमले की ओर इशारा किया था. हालांकि सार्वजनिक तौर पर परमाणु हमले का एकमात्र स्पष्ट संकेत पाकिस्तान की ओर से आया. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन मेंपाकिस्तान की परमाणु धमकी पर चर्चा हुई साथ ही व्हाइट हाउस यह भी समझ चुका था कि कुछ सार्वजनिक बयान और इस्लामाबाद और दिल्ली केअधिकारियों को कुछ फोनकॉल करना ही पर्याप्त नहीं है क्योंकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के हस्तक्षेप का पाकिस्तान पर कोई खासअसर नहीं हुआ था. डीजीएमओ स्तर की बातचीत की चर्चा के बीच विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि पाकिस्तान से एनएसए स्तर की कोई भीबातचीत नहीं की जाएगी.
सोशल मीडिया पर चल रही है फेक खबरें
दरअसल सोशल मीडिया पर लगातार इस पर फेक खबरें भी चल रही हैं कि भारत और पाकिस्तान के एनएसए आपस में बातचीत करेंगे इस पर विदेशमंत्रालय सूत्रों ने बताया है कि एनएसए स्तर पर कोई बात नहीं होगी. ट्रंप प्रशासन इस बात से भी चिंतित था कि तनाव कम करने के संदेश दोनों पक्षोंके शीर्ष अधिकारियों तक नहीं पहुंच रहे थे. इसलिए अमेरिकी अधिकारियों ने फैसला किया कि वेंस को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनीचाहिए. उनका संदेश यह था कि अमेरिका ने यह आकलन किया है कि हिंसा में नाटकीय वृद्धि होने की बहुत अधिक संभावना है और संघर्ष पूर्ण रूप सेयुद्ध में तब्दील हो सकता है. अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, वेंस ने मोदी पर लगातार हमलों पर विचार करने को कहा मोदी ने उनकी बात सुनी और स्पष्टकर दिया कि यदि पाकिस्तान ने दुस्साहस किया तो भारत हर सूरत में जवाब देगा. पाकिस्तान के विपरीत भारत ने संघर्ष विराम में किसी भी तरह कीअमेरिकी संलिप्तता को स्वीकार नहीं किया है. पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी जारी रहने से यह भी स्पष्ट नहीं था कि संघर्ष विराम कायम रहेगा यानहीं वरिष्ठ पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों को युद्ध के कगार से वापस लाने के लिए अमेरिकी हस्तक्षेप की आवश्यकता थी.