पुलिस द्वारा पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाए जाने के बाद, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मानपर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग इस “पीठ में छुरा घोंपने” का बदला लेंगे। श्रीनेत ने एएनआई से बातचीत में कहा, “आप नेकल अपना असली चरित्र दिखाया। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार वह पहली राज्य सरकार थी जिसने तीनकाले कानून पारित किए थे। यह अविश्वसनीय है कि एक पार्टी, जो खुद को एक आंदोलन से उत्पन्न पार्टी कहती है, वह इस तरह से किसानों केआंदोलन को खत्म करने के लिए इस कदम को उठाएगी। पंजाब इस पीठ में छुरा घोंपने का बदला जरूर लेगा।”
कांग्रेस नेता का यह बयान उस समय आया जब पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को जबरन हटा दिया। प्रदर्शनकारीकिसान विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर धरने पर बैठे थे। इस कार्यवाही के बाद, विपक्षी दलों ने भगवंत मान की आम आदमी पार्टी(आप) सरकार की कड़ी आलोचना की है।
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री भगवंत मान से यहीउम्मीद थी, क्योंकि आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) “एक ही सिक्के के दो पहलू” हैं। बाजवा ने कहा, “पंजाब के सीएमभगवंत मान से यही उम्मीद थी। उन्होंने किसानों को धोखा क्यों दिया? एक ओर वे किसानों को बैठक के लिए बुलाते हैं, और दूसरी ओर उन्हें हिरासतमें ले लिया। भाजपा और आप दोनों एक ही सोच रखते हैं। अब हरियाणा सरकार ने भी सीमा पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। वे यह सुनिश्चितकरना चाहते हैं कि लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा जीतें, ताकि अरविंद केजरीवाल राज्यसभा सदस्य बन सकें।”
किसानों द्वारा किया गया यह विरोध प्रदर्शन उस समय हुआ, जब अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानएकजुट होकर करनाल में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आवास तक विरोध मार्च निकाल रहे थे। यह विरोध प्रदर्शन तब हुआ, जब पंजाबपुलिस ने बुधवार को पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा से किसानों को हटाने के लिए कार्रवाई की। पुलिस ने धरने पर बैठे किसानों द्वारा बनाए गए अस्थायीढांचे भी हटा दिए, और अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे किसान नेताओं जैसे जगजीत सिंह दल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंहपंधेर समेत कई प्रमुख किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया।
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, पंजाब के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि यह कार्रवाई इसलिये की गई क्योंकि सरकार चाहती थी कि शंभू औरखनौरी सीमाएं खोल दी जाएं। एएनआई से बात करते हुए चीमा ने कहा, “किसानों को दिल्ली या किसी अन्य स्थान पर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए, क्योंकि उनकी मांगें केंद्र सरकार के खिलाफ हैं। इन सीमाओं को खोलने से पंजाब के व्यापारी, युवा और आम लोग लाभान्वित होंगे। जब व्यापारीअपना व्यापार करेंगे, तो युवाओं को रोजगार मिलेगा और वे नशे जैसी समस्याओं से बच सकेंगे।”
चीमा ने यह भी कहा, “हमारी सरकार और पंजाब के लोग हमेशा किसानों के साथ खड़े रहे हैं, विशेषकर तीन काले कानूनों के खिलाफ। किसानों कीमांगें केंद्र सरकार के खिलाफ हैं, और अब यह समय है कि वे अपनी मांगों के लिए दिल्ली या अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करें। पंजाब की सड़कोंको अवरुद्ध करके, वे अन्य लोगों को परेशान कर रहे हैं।”
पंजाब में पिछले कुछ समय से किसानों द्वारा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं। शंभू और खनौरी सीमाएं पिछले एकसाल से बंद हैं, और किसानों की इस मांग को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच तनाव बना हुआ है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने किसानोंसे इन सीमाओं को खोलने की अपील की है, ताकि राज्य के व्यापारियों को और युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें। पंजाब सरकार का यहकहना है कि यह कदम राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए जरूरी है।
किसानों के संगठन, हालांकि, इस कदम से असहमत हैं और उनका कहना है कि जब तक केंद्र सरकार उनकी तीन प्रमुख मांगों को नहीं मानती, वेअपना विरोध जारी रखेंगे। ये मांगें कृषि कानूनों को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने, और किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों कीवापसी की हैं। किसानों का यह भी कहना है कि सरकार उनके आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस और अन्य बलों का इस्तेमाल कर रही है, जो उनकेआंदोलन के उद्देश्य को कमजोर करने का प्रयास है।
इस पूरे मामले पर राजनीतिक विवाद और तीखी आलोचनाएं लगातार बनी हुई हैं। जहां एक ओर विपक्षी दलों का कहना है कि आम आदमी पार्टीऔर भारतीय जनता पार्टी एक ही तरह की राजनीति कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार इसे राज्य की तरक्की और युवाओं के रोजगार के लिए आवश्यककदम मान रही है। पंजाब की सरकार की यह कोशिश है कि किसानों को राज्य की सीमाओं को खोलने के लिए राजी किया जाए, ताकि राज्य केव्यापार और व्यापारिक गतिविधियों को नया जीवन मिल सके।