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न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस (Chris Hipkins) हाल ही में भारत के दौरे पर आए, जहां भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका भव्यस्वागत किया। दोनों देशों के नेताओं के बीच यह मुलाकात विशेष रूप से आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्रित रही। प्रधानमंत्री मोदीऔर प्रधानमंत्री हिपकिंस ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत प्रतिबद्धता को दोहराते हुए दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने की इच्छाजताई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कहा कि भारत और न्यूज़ीलैंड आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं और दोनों देश आतंकवाद के किसी भी रूप कोअस्वीकार करते हैं। उन्होंने 15 मार्च 2019 के क्राइस्टचर्च आतंकी हमले और 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले का जिक्र करते हुए यह कहा किआतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका कोई धर्म या राष्ट्र नहीं होता, और यह मानवता के खिलाफ एक घृणित अपराध है। मोदी ने दोनों हमलों कोयाद करते हुए कहा कि इन हमलों में निर्दोष लोग मारे गए, और इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आतंकवादियों, अलगाववादियों और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। दोनों नेताओंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और न्यूज़ीलैंड आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम करेंगे और मिलकर आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री हिपकिंस ने इस बात पर भी चर्चा की कि दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। इसके लिए दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने और साझा खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने पर भी विचार किया।
न्यूज़ीलैंड में भारतीय विरोधी गतिविधियों पर चिंता जताई

भारत और न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्रीों के बीच आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश देते हुए, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज़ीलैंड में कुछगैर-कानूनी तत्वों द्वारा भारत-विरोधी गतिविधियों पर अपनी चिंता भी साझा की। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारत इन गतिविधियों को लेकर गंभीरहै और इस मुद्दे पर न्यूज़ीलैंड सरकार से सहयोग की उम्मीद करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमने अपनी चिंता न्यूज़ीलैंड सरकार के साथ साझा की है, और हमें विश्वास है कि इन गैर-कानूनी तत्वों के खिलाफ कार्रवाईकी जाएगी। हम इस दिशा में न्यूज़ीलैंड सरकार से समर्थन की उम्मीद करते हैं।”

यह भारतीय प्रधानमंत्री का स्पष्ट संदेश था कि भारत किसी भी परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने न्यूज़ीलैंड से सहयोग की उम्मीद जताते हुए यह कहा कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा से संबंधित कोई भी गतिविधि जिसे विदेशी तत्वों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा हो, उस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच बढ़ती मित्रता और सहयोग
यह दौरा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का एक अवसर था। भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं, और अबदोनों देशों के नेताओं के बीच सुरक्षा, व्यापार, और सांस्कृतिक सहयोग के कई नए अवसरों पर चर्चा हुई। आतंकवाद पर उनके साझा दृष्टिकोण ने यह स्पष्ट कर दिया कि दोनों देश केवल आर्थिक और राजनीतिक सहयोग में ही नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर भी साथ खड़े हैं।

न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस ने कहा, “हम भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और आतंकवाद, अपराध, और अन्य वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ एकजुट होकर काम करेंगे। भारत की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है, और हम हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार हैं।”

यह यात्रा यह दर्शाती है कि न्यूज़ीलैंड और भारत की साझेदारी न केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित है, बल्कि दोनों देशों के साथ मिलकर वैश्विकसुरक्षा की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। आतंकवाद के खिलाफ मजबूत और एकजुट मोर्चा बनाना, इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य था, और इस पर दोनों देशों के नेताओं ने सहमति जताई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस का यह संवाद आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दे पर मजबूत सहयोग का प्रतीक बन गया है।दोनों देशों के नेता इस बात पर एकमत हैं कि आतंकवाद किसी भी रूप में अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। न्यूज़ीलैंड में भारत-विरोधी गतिविधियों पर चिंता जताने के साथ-साथ दोनों देशों ने यह सुनिश्चित किया कि वे अपने नागरिकों की सुरक्षा और वैश्विक सुरक्षा के मामलों में एकजुट रहेंगे।
यह दौरा भारतीय और न्यूज़ीलैंड सरकारों के बीच विश्वास और सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत है, जो आने वाले समय में दोनों देशों के बीचअच्छे और प्रभावी संबंधों को और मजबूत करेगा।

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