नागपुर में हाल ही में दो समुदायों के बीच हुई हिंसा के बाद से सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ पुलिस नेसख्त कार्रवाई की है। पुलिस ने साइबर सेल के जरिए उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जिन्होंने सोशल मीडिया पर हिंसा को बढ़ावा देनेवाले पोस्ट किए। इस एफआईआर में देशद्रोह की धाराएं भी लगाई गई हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पुलिस अब सोशल मीडिया पर हिंसा फैलानेवाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नागपुर पुलिस के साइबर सेल के डीसीपी, लोहित मतानी ने इस मामले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस एफआईआर मेंकुल 6 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें एक आरोपी फहीम खान भी है। इन आरोपियों पर सोशल मीडिया के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा देनेऔर भड़काऊ सामग्री साझा करने का आरोप है। इसके अलावा, पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की है जिन्होंने सोशल मीडिया पर’सर तन से जुदा’ जैसे उकसाने वाले नारे लगाए थे और पुलिस पर पत्थरबाजी के वीडियो को ग्लोरिफाई किया था। इस गंभीर मामले में पुलिस नेदेशद्रोह की धाराओं के तहत कार्रवाई की है, जिससे यह समझा जा सकता है कि सुरक्षा और शांति की स्थापना में सोशल मीडिया की भूमिका भीमहत्वपूर्ण होती है।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ एफआईआर
लोहित मतानी ने कहा कि पुलिस ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ और हिंसक पोस्ट करने वाले लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं, जो विशेष रूप सेनागपुर में हुई हिंसा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से साझा किए गए थे। पुलिस द्वारा एफआईआर नंबर 30/25 में देशद्रोह का चार्ज लगाया गया है, क्योंकि इनमें से कुछ पोस्टों में न केवल हिंसा को बढ़ावा दिया गया था, बल्कि लोगों को उकसाने के लिए ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे भी लगाए गएथे। इस मामले में आरोपियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से दंगे और आर्म अग्रेशन को बढ़ावा देने की कोशिश की थी।
डीसीपी लोहित मतानी ने यह भी बताया कि इस एफआईआर में कुल 6 आरोपी हैं, जिनमें से एक प्रमुख आरोपी फहीम खान है। उन्होंने आगे कहा किफहीम खान की कस्टडी की मांग पुलिस कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट के जरिए करेगी। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि एक अन्यआरोपी के सोशल मीडिया प्रोफाइल पर बांग्लादेश का पता लिखा हुआ था, हालांकि इसकी सत्यता की जांच की जा रही है।
अलग–अलग मामलों में दर्ज की गई एफआईआर
लोहित मतानी ने यह भी बताया कि पुलिस ने विभिन्न मामलों में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। इन मामलों में एक एफआईआर उस व्यक्ति केखिलाफ है जिसने सोशल मीडिया पर हिंसा के वीडियो को मॉडिफाई करके सर्कुलेट किया था। एक अन्य एफआईआर उन लोगों के खिलाफ हैजिन्होंने हिंसा के दौरान किए गए वीडियो को फैलाया और उसे बढ़ावा दिया।
यह स्पष्ट है कि पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए हिंसा को भड़काने और लोगों को उकसाने के मामले में सख्त कार्रवाई की है। इस मामले में पुलिसका कहना है कि उनकी प्राथमिकता केवल सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने वालों को गिरफ्तार करना नहीं है, बल्कि ऐसे आरोपियों केखिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करना भी है जो समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
बांग्लादेशी अकाउंट से हिंसा फैलाने की साजिश
नागपुर पुलिस ने यह भी बताया कि जांच के दौरान उन्हें बांग्लादेश से संचालित होने वाले एक फेसबुक अकाउंट का पता चला, जिसने नागपुर में हिंसाफैलाने की धमकी दी थी। इस अकाउंट द्वारा किए गए खतरनाक पोस्ट में यह कहा गया था कि, “सोमवार के दंगे तो केवल एक छोटी घटना थे, भविष्य में इससे भी बड़े दंगे होंगे।”
जांच के दौरान यह पाया गया कि यह फेसबुक अकाउंट बांग्लादेश से संचालित हो रहा था और उस पर किए गए पोस्ट को बांग्लादेश से ही शेयरकिया गया था। इस प्रकार के पोस्ट ने न केवल हिंसा को बढ़ावा दिया बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद को भी जन्म दिया। पुलिस इस मामलेकी गंभीरता से जांच कर रही है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि ऐसे खतरनाक पोस्टों को फैलाने वाले व्यक्तियों को गिरफ्तार कियाजाए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए।
नागपुर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई
नागपुर पुलिस की साइबर सेल ने इस पूरे मामले में अब तक कुल 10 एफआईआर दर्ज की हैं। पहले 6 एफआईआर दर्ज की गई थीं, लेकिन अबपुलिस ने कुल 10 एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें ताजा 4 मामले सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने, भड़काने, और उकसाने केमामलों से संबंधित हैं। यह स्थिति दिखाती है कि पुलिस ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और लगातार उन लोगों पर कार्रवाई कर रही है जोसोशल मीडिया के जरिए नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
पुलिस ने यह भी बताया कि वे अब ऐसे सभी अकाउंट्स और यूजर्स की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं जो इन भड़काऊ पोस्टों को साझा कर रहेहैं और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए पुलिस ने एक विशेष टीम बनाई है जो इन अकाउंट्स का पता लगा रही है और उनकी गतिविधियों कीजांच कर रही है। पुलिस का मानना है कि अगर इस प्रकार के अकाउंट्स को समय रहते नहीं पकड़ा गया, तो यह पूरे समाज के लिए खतरे की घंटी होसकती है।
साइबर सेल की भूमिका और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी
यह घटनाक्रम यह साबित करता है कि सोशल मीडिया का उपयोग अब केवल व्यक्तिगत बातचीत तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह एकशक्तिशाली मंच बन गया है जिसे लोग अपने विचार व्यक्त करने, समुदायों को जोड़ने, और यहां तक कि राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों कोबढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, इस प्लेटफॉर्म के कुछ नकरात्मक पहलू भी हैं, जैसे कि भड़काऊ और हिंसक सामग्री का प्रसार, जोपूरे समाज में तनाव पैदा कर सकता है।
इसलिए पुलिस और सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस प्लेटफॉर्म का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित करें और सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्रीके प्रसार को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखें। साइबर सेल की भूमिका भी इस संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल उन लोगों के खिलाफकार्रवाई करने का कार्य नहीं करता जो भड़काऊ पोस्ट करते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि सोशल मीडिया का उपयोग शांतिपूर्ण तरीके से कियाजाए।
नागपुर में हुई हिंसा और सोशल मीडिया पर फैली भड़काऊ पोस्टों के बाद, पुलिस ने जो त्वरित कार्रवाई की है, वह यह दर्शाता है कि सरकार औरसुरक्षा बल समाज में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सोशल मीडिया का सही उपयोग न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा और समरसता को भी सुनिश्चित करता है। पुलिस की यह कार्रवाई एक संदेश है कि समाज में हिंसा फैलाने वाले तत्वों कोकिसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो देश की शांति और अखंडता के खिलाफ काम कर रहेहैं।