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गुजरात में बड़ा अभियान: अवैध बांग्लादेशियों पर कार्रवाई
गुजरात पुलिस और गृह विभाग ने राज्यभर में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया है। इस कार्रवाई के दौरान अबतक 1,000 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, ये लोग बिना वैध दस्तावेजों के गुजरात के विभिन्न इलाकों — अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और गांधीनगर — में रह रहे थे। कईबांग्लादेशी नागरिकों ने स्थानीय पहचान पत्र बनवाकर खुद को भारतीय नागरिक के तौर पर पेश करने की भी कोशिश की थी। पुलिस अब दस्तावेजोंकी गहन जांच कर रही है और फर्जी पहचान पत्र तैयार कराने वाले नेटवर्क पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।

हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला: 460 पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश
इधर, हरियाणा सरकार ने भी अपने राज्य में अवैध रूप से रह रहे 460 पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। प्रशासन ने इननागरिकों को भारत छोड़ने के आदेश जारी कर दिए हैं। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन लोगों को जल्द से जल्द वापस भेजने कीप्रक्रिया पूरी करें।

बताया जा रहा है कि इन पाकिस्तानी नागरिकों में से कई ऐसे हैं जिन्होंने वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रहना जारी रखा था, जबकि कुछने अवैध रूप से रोजगार या व्यापार करना शुरू कर दिया था।

हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित कियागया है कि वे इन विदेशी नागरिकों की निगरानी करें और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया में तेजी लाएं।

अटारी बॉर्डर से भेजे जाएंगे वापस
इन अवैध विदेशी नागरिकों को भारत-पाकिस्तान के बीच स्थित अटारी बॉर्डर के रास्ते भेजा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों ने अटारीबॉर्डर पर सभी आवश्यक इंतजाम कर लिए हैं।

विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के समन्वय से इन लोगों की वापसी सुनिश्चित की जा रही है। प्रक्रिया के तहत सभी संबंधित विदेशी नागरिकों केदस्तावेजों की जांच के बाद उनकी पहचान पाकिस्तान या बांग्लादेश से पुष्टि कराई जा रही है, जिसके बाद उन्हें डिपोर्ट किया जा रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसंख्या प्रबंधन पर सरकार का फोकस
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार पिछले कुछ समय से अवैध प्रवासियों पर कड़ा रुख अपना रही है। इससे न केवल देश की राष्ट्रीय सुरक्षा कोमजबूती मिलती है, बल्कि स्थानीय संसाधनों पर पड़ने वाला अनावश्यक बोझ भी कम होता है।

अधिकारियों के मुताबिक, कई बार अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिक आपराधिक गतिविधियों या देश विरोधी तत्वों के संपर्क में आ जाते हैं, जिससेआंतरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होता है। इसी कारण से विभिन्न राज्यों में अवैध नागरिकों की पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया को प्राथमिकता दीजा रही है।

गुजरात और हरियाणा के बाद अन्य राज्यों में भी तैयारी
सूत्रों का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों को भी निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में रह रहे अवैध विदेशी नागरिकों का सर्वेक्षण करेंऔर उनकी स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करें। जल्द ही देशव्यापी स्तर पर एक और व्यापक अभियान चलाए जाने की संभावना है, जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार और नेपाल के नागरिकों की स्थिति का आकलन किया जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि अवैध प्रवासियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करें, ताकि देश की आंतरिकसुरक्षा व्यवस्था और मजबूत हो सके।

मानवाधिकारों का ध्यान भी जरूरी
हालांकि, कुछ मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है कि डिपोर्टेशन की प्रक्रिया में मानवीय पहलुओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उनका कहनाहै कि निर्वासन के दौरान यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन लोगों को वापस भेजा जा रहा है, उन्हें मूल देश में किसी भी तरह की प्रताड़ना याकठिनाई का सामना न करना पड़े।

सरकारी अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि भारत सरकार सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों और मानवाधिकार प्रावधानों का पालन करते हुए यह प्रक्रियासंचालित कर रही है।

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