दिल्ली में भाजपा सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद जनता की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं। लंबे संघर्ष और साम-दाम-दंड-भेद की राजनीति केबाद सत्ता में आई भाजपा ने जहां खुद को मजबूत किया, वहीं आम जनता को राहत देने में विफल साबित हुई है। विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार कीकार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं और दावा किया है कि जनता के भरोसे को भाजपा ने अधूरा छोड़ दिया है।
बढ़ी बिजली और पानी की समस्याएं
विपक्ष के अनुसार, भाजपा के शासन में बिजली की कीमतों में इजाफा हुआ है, जिससे आम लोगों पर आर्थिक दबाव बढ़ा है। साथ ही, पावर कट कीसमस्या भी गंभीर रूप ले चुकी है, जिससे दिन-रात बिजली की अनियमित आपूर्ति से जनता परेशान है। इसके अलावा, जल आपूर्ति भी प्रभावित हुई हैऔर पानी की कटौती आम हो गई है, जिससे राजधानी के कई इलाकों में जल संकट गहराता जा रहा है।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में गिरावट
मोहल्ला क्लीनिकों को बंद किए जाने की खबरें भी सामने आई हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सीमित हो रही है। शिक्षा क्षेत्र में भी स्थितिचिंताजनक है, जहां सरकारी स्कूलों में ताले लगे दिखाई दे रहे हैं और प्राइवेट स्कूलों की फीस में भारी वृद्धि हुई है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिकबोझ बढ़ा है।
वादे सिर्फ वादे ही साबित हुए
विपक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार के सारे चुनावी वादे झूठे साबित हुए हैं और 100 दिन के इस कार्यकाल में जनता के साथ विश्वासघात हुआहै। लोगों को उम्मीद थी कि नई सरकार जनहित में काम करेगी, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि यह कार्यकाल जनता के लिए राहत नहीं, बल्किनिराशा लेकर आया है।