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विश्व हिंदू परिषद (VHP) की एक टीम ने रविवार को दिल्ली स्थित ऐतिहासिक हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण किया। यह निरीक्षण उस समय कियागया जब देश में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद तेज हो चुका था। हालांकि, विश्व हिंदू परिषद ने इस निरीक्षण को लेकर किसी भी तरह के विवादसे इनकार किया और इसे दिल्ली के ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया एक सामान्य कदम बताया।

हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण
विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों द्वारा हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण ऐसे समय में हुआ है, जब औरंगजेब के मकबरे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।हुमायूं का मकबरा यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है, और यह दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। विश्व हिंदूपरिषद ने इस निरीक्षण के बाद स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य केवल दिल्ली के ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करना था, न कि कोई विवाद उत्पन्नकरना।

वर्तमान में हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण करने वाली विश्व हिंदू परिषद की टीम का नेतृत्व संगठन के दिल्ली इकाई के सचिव सुरेन्द्र गुप्ता ने किया। इसनिरीक्षण में शामिल प्रतिनिधिमंडल ने हुमायूं के मकबरे के ऐतिहासिक महत्व का अध्ययन किया और इसके योगदान को समझने की कोशिश की।संगठन ने इस निरीक्षण को दिल्ली प्रांत के ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करने का एक हिस्सा बताया।
सफदरजंग मकबरे का निरीक्षण भी तय
विश्व हिंदू परिषद ने यह भी बताया कि हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण करने के बाद उनका प्रतिनिधिमंडल जल्द ही सफदरजंग के मकबरे का निरीक्षणकरेगा। सुरेन्द्र गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि इस निरीक्षण का कोई विवादास्पद उद्देश्य नहीं था और इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली के ऐतिहासिक स्थलों काअध्ययन करना था।

गुप्ता ने इस बारे में बताया, “हम दिल्ली प्रांत के ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य विभिन्न कालखंडों के शासकों के योगदानऔर उनकी भूमि के आवंटन का विश्लेषण करना है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस अध्ययन का उद्देश्य केवल ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाना है औरकोई राजनीतिक या विवादास्पद एजेंडा नहीं है।

इसके बाद, उन्होंने यह भी कहा कि निरीक्षण के बाद संगठन अपना विस्तृत अध्ययन केंद्र सरकार को सौंपेगा, जिससे कि ऐतिहासिक तथ्यों औरयोगदान के बारे में और अधिक स्पष्टता हो सके।

औरंगजेब की कब्र को लेकर बढ़ता विवाद
विश्व हिंदू परिषद का हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण उस समय हुआ है जब महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विभिन्न हिंदूसंगठनों के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन संगठनों का आरोप है कि 17वीं सदी के मुगल शासक औरंगजेब ने हिंदू धर्म के अनुयायियों पर अत्याचार किएथे, और इसलिए उसकी कब्र को हटाया जाना चाहिए।
औरंगजेब के खिलाफ विरोध की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई, जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने एक बयान दिया था, जिसमेंउन्होंने औरंगजेब की तारीफ की थी। उन्होंने दावा किया था कि औरंगजेब कोई क्रूर शासक नहीं था और उसके शासन के दौरान भारत की जीडीपी24% थी, जिससे भारत सोने की चिड़ीया के रूप में उभरा था। अबू आजमी ने यह भी कहा था कि इतिहास में औरंगजेब के बारे में कई गलत बातेंबताई गई हैं।
आजमी के बयान के बाद विवाद बढ़ गया और विभिन्न हिंदू संगठनों ने उनके बयान का विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद, अबू आजमी केबयान को लेकर मामला दर्ज किया गया और उन्हें विधानसभा से निलंबित भी कर दिया गया। साथ ही, महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थितऔरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग भी तेज हो गई है।
विवाद का राजनीतिक आयाम
औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद ने राजनीति में भी नई हलचल पैदा की है। कुछ राजनीतिक दलों ने इस मामले को धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भमें देखा है, जबकि कुछ ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों की गलत व्याख्या करार दिया है। औरंगजेब को लेकर विभिन्न दृष्टिकोणों के कारण यह मामलाराजनीतिक मंच पर भी गर्मा गया है।
विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह के विवादों को धार्मिक आधार पर उठाना केवल समाज में विभाजन और अशांति को बढ़ावा देता है। वहीं, कुछहिंदू संगठन और नेता इसे एक ऐतिहासिक अन्याय के रूप में देखते हैं और मांग करते हैं कि औरंगजेब की कब्र को हटाया जाए, ताकि देश की हिंदूसंस्कृति और धरोहर की रक्षा की जा सके।

विश्व हिंदू परिषद का ऐतिहासिक अध्ययन
विश्व हिंदू परिषद ने इस विवाद के बीच हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण करने के बाद स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ दिल्ली केऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करना है। उन्होंने कहा कि उनका ध्यान शासकों के योगदान और उनके द्वारा दी गई भूमि पर आधारित था, और इसअध्ययन का उद्देश्य किसी भी तरह के विवाद को जन्म देना नहीं था।

विश्व हिंदू परिषद ने यह भी कहा कि वे इस अध्ययन को पूरी तरह से ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर करेंगे और अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगे।इसके अलावा, यह भी स्पष्ट किया गया कि संगठन का उद्देश्य किसी भी ऐतिहासिक स्थल को विवादास्पद बनाना नहीं है, बल्कि उन स्थलों केऐतिहासिक महत्व को समझना है।

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