
दिल्ली भाजपा ने राजधानी के करीब 6500 बूथों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का सामूहिक श्रवण आयोजितकिया। इस कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय और प्रदेश नेताओं ने विभिन्न स्थानों पर भाजपा कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के साथ भागीदारी की।भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मालवीय नगर विधानसभा में विधायक सतीश उपाध्यायके साथ ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुना। इसके उपरांत ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत 1.5 लाख पौधे लगाने की पहल की शुरुआत एकपौधा लगाकर की गई, जिसमें राकेश सिन्हा और जिला अध्यक्ष रविन्द्र चौधरी भी मौजूद रहे।
वहीं, केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कृष्णा नगर में संगठन महामंत्री पवन राणा और विधायक अनिल गोयल के साथ कार्यक्रम में भाग लिया। राष्ट्रीयमहामंत्री दुष्यंत गौतम चिराग दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए, जबकि राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी. सतीश ने पटेल नगर में सत्संग कार्यक्रम मेंमौजूद श्रद्धालुओं के साथ ‘मन की बात’ सुनी। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने दिल्ली गेट स्थित जाटव शिव मंदिर में भाजपा नेता अमित गुप्ताव अन्य कार्यकर्ताओं के साथ कार्यक्रम देखा। सांसद मनोज तिवारी ने बुराड़ी में जिला अध्यक्ष यू.के. चौधरी के साथ कार्यक्रम में भाग लिया और यमुनातट पर आयोजित योग कार्यक्रम के उल्लेख को उत्तर पूर्वी दिल्ली के लिए गौरवपूर्ण बताया। सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने विंडसर प्लेस पर और सांसदकमलजीत सहरावत ने मटियाला विधानसभा में कार्यकर्ताओं के साथ कार्यक्रम को सुना।
‘मन की बात’ सुनने के पश्चात मीडिया से बातचीत करते हुए बैजयंत जय पांडा ने कहा कि हर महीने के अंतिम रविवार को यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री सेसंवाद और प्रेरणा का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने भारत के ट्रेकोमा मुक्त घोषित होने पर खुशी व्यक्त की और इसके लिए स्वास्थ्यकर्मियों कोबधाई दी। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को दिल्ली और देश की स्वच्छता एवं पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा अहम कदम बताया। वीरेंद्र सचदेवा नेकहा कि ‘मन की बात’ अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन-जन का कार्यक्रम बन गया है। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक घटनाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि आज के एपिसोड में मेघालय के ईरी सिल्क जैसे पारंपरिक धरोहर काउल्लेख करना उस संस्कृति को सम्मान देने जैसा है।
इसके साथ ही कार्यक्रम में 1975 के आपातकाल की चर्चा भी हुई। नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ संविधान का हनन नहीं था, बल्कि उस दौर कीसरकार न्यायपालिका को भी अपने अधीन करने का प्रयास कर रही थी। आपातकाल के दौरान नागरिकों के अधिकारों का दमन हुआ और लाखों लोगोंको प्रताड़ित किया गया। यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।