दिल्ली के पटपड़गंज क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक रवींद्र नेगी ने नवरात्रि के अवसर पर एक नया विवाद खड़ा किया है। उन्होंनेनवरात्रि के दौरान मंदिरों के पास स्थित मीट की दुकानों को बंद करने की मांग की। उनका कहना है कि नवरात्रि हिंदू आस्था का पर्व है और मंदिरों केआसपास मांस की दुकानों के खुलने से श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। इस कारण उन्होंने इन दुकानों को बंद करने का निर्णयलिया और पटपड़गंज में मंदिरों के पास स्थित मांस की दुकानों को बंद भी करवा दिया।
नेगी ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए दिल्ली सरकार से यह मांग की है कि नवरात्रि के दौरान पूरे दिल्ली में मटन शॉप्स को बंद किया जाए।उनका तर्क है कि धार्मिक पर्वों के दौरान, विशेषकर नवरात्रि में, मांस की दुकानों का खुलना श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाता है, और इसे रोकनेके लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
इस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक जुबैर अहमद ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने BJP विधायक रवींद्र नेगी से एक कदम आगे बढ़तेहुए न केवल मीट की दुकानों को, बल्कि शराब की दुकानों को भी नवरात्रि के दौरान बंद करने की मांग की। उनका कहना था कि व्रत रखने वाले लोगोंकी धार्मिक भावनाएं शराब से भी आहत हो सकती हैं, इसलिए शराब की दुकानों को भी बंद किया जाना चाहिए।
नेगी के द्वारा पटपड़गंज क्षेत्र में मंदिरों के आसपास मीट की दुकानों को बंद करवाए जाने के बाद, मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस फैसले को लेकर खुशनजर आए। उनका मानना था कि इससे मंदिरों के पास शांति और श्रद्धा का वातावरण बना रहेगा। हालांकि, इस कदम से मुस्लिम समुदाय के लोगनाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश दे, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसके परिणामस्वरूपदुकानदारों को जो आर्थिक नुकसान होगा, उसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब रवींद्र नेगी का नाम इस प्रकार के विवाद में सामने आया है। इससे पहले भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआथा, जिसमें वह पटपड़गंज क्षेत्र में मीट बेच रहे दुकानदारों से कह रहे थे कि उन्हें मंगलवार को अपनी दुकानों को बंद रखना चाहिए, क्योंकि ये दुकानेंमंदिरों के पास स्थित हैं और यहां आने वाले भक्तों को परेशानी हो सकती है। तब भी दुकानदारों ने इस फरमान पर सवाल उठाए थे और विरोध जतायाथा।
नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद करने की मांग देश के विभिन्न हिस्सों में समय-समय पर उठती रही है। हालांकि, इस मुद्दे पर कोई विशेषकानूनी प्रावधान नहीं है। स्थानीय प्रशासन या धार्मिक संगठन कई बार इस प्रकार की मांग करते हैं, जो धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारितहोती है। कई स्थानों पर नवरात्रि के दौरान दुकानदार अपनी मीट की दुकानों को बंद कर देते हैं, लेकिन कहीं-कहीं यह मांग पूरी नवरात्रि के दौरान सभीमीट की दुकानों को बंद करने की भी होती है।