
तेलंगाना के गोशामहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह, जो अपने कट्टर हिंदुत्ववादी रुख और विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने पार्टी सेइस्तीफा दे दिया है। नेतृत्व को लेकर पार्टी में चल रही खींचतान के बीच उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस्तीफे कीप्रति साझा करते हुए लिखा, “बहुतों की चुप्पी को सहमति नहीं समझा जाना चाहिए। मैं उन तमाम कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की आवाज बन रहाहूं, जो आज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। जय श्री राम।”
खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने क की थी मांग
कुछ दिनों पहले टी राजा सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी कर भाजपा नेतृत्व से उन्हें तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की सार्वजनिक अपील की थी।उन्होंने दावा किया था कि बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उन्हें इस पद पर देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाती है तोवे गोरक्षा के लिए एक समर्पित विंग की स्थापना करेंगे और कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को एक हिंदुत्वआधारित पार्टी के रूप में मजबूत करने की भी बात कही थी।
रामचंदर राव को मिल सकती है जिम्मेदारी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व ने एन. रामचंदर राव को तेलंगाना का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया है। राव एक वरिष्ठ अधिवक्ताहैं और पहले विधान परिषद सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता युवा मोर्चा और भाजपा के कानूनी प्रकोष्ठमें भी सक्रिय भूमिका निभाई है। माना जा रहा है कि उनका चयन पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें विवादों से दूर, समर्पित नेताओं कोप्राथमिकता दी जा रही है। उनके मंगलवार को निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है।
इस्तीफे में नेतृत्व पर गंभीर आरोप
अपने त्यागपत्र में टी राजा सिंह ने वर्तमान प्रदेश नेतृत्व पर पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा केलाखों समर्पित कार्यकर्ताओं की भावनाओं को दरकिनार कर गलत नेतृत्व थोपा गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी में पर्दे के पीछे सेफैसले लिए जा रहे हैं और निजी हित, संगठन के हितों पर भारी पड़ रहे हैं।
हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता बरकरार
हालांकि उन्होंने भाजपा से दूरी बनाई है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी विचारधारा नहीं बदली है। टी राजा सिंह ने कहा कि वह हिंदुत्व और धर्मकी सेवा में पहले की तरह ही समर्पित रहेंगे। उन्होंने इसे एक कठिन लेकिन आवश्यक निर्णय बताया और कहा कि वह उन कार्यकर्ताओं औरमतदाताओं की आवाज बनकर लड़ते रहेंगे जो आज खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।