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जयपुर में 13 मई 2008 को हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने चार आरोपियों—मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आज़मी, सैफुर रहमान, और मोहम्मद सलमान—को दोषी ठहराया है। इन धमाकों में 71 लोगों की जान चली गई थी और लगभग 200 लोग घायल हुए थे।अदालत ने दोषियों को हत्या, हत्या के प्रयास, देशद्रोह, आपराधिक साजिश और अन्य गंभीर अपराधों के तहत दोषी मानते हुए मृत्युदंड की सजासुनाई है। दूसरी ओर, लखनऊ निवासी शाहबाज हुसैन, जिस पर हमले की जिम्मेदारी लेने वाला ईमेल भेजने का आरोप था, को सबूतों के अभाव मेंबरी कर दिया गया।

जयपुर के पुराने शहर क्षेत्र में 13 मई 2008 को 15 मिनट के भीतर आठ अलग-अलग स्थानों पर बम धमाके हुए थे, जिनमें चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर शामिल थे। इन हमलों ने शहर में दहशत फैला दी थी। इस मामले की सुनवाईकरीब 11 वर्षों तक चली, जिसमें अभियोजन पक्ष ने 1,272 गवाह पेश किए। अदालत ने गवाहों के बयानों और सबूतों के आधार पर यह फैसलासुनाया।

विशेष अदालत ने 18 दिसंबर 2019 को चारों दोषियों को दोषी ठहराया और 20 दिसंबर 2019 को मृत्युदंड की सजा दी। अदालत ने इस हमले कोदुर्लभतम मामलों में से एक करार दिया, जिसमें समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा था। अभियोजन पक्ष का तर्क था कि यह हमला सुनियोजित था औरआतंक फैलाने के उद्देश्य से किया गया था।

वहीं, बचाव पक्ष के वकील पाकर फारूक ने कहा कि इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी, क्योंकि अभियोजन पक्ष के पास प्रत्यक्षसबूत नहीं थे और केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर निर्णय सुनाया गया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि हिंसा फैलाने वालों को कड़ा संदेश देना जरूरी है।दोषियों के पास अब उच्च न्यायालय में अपील करने का विकल्प है, और आगे की न्यायिक प्रक्रिया में क्या होगा, यह देखना बाकी है।

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