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महाराष्ट्र में इन दिनों मुग़ल सम्राट औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग जोरों पर है। इस विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने रविवार को एकबयान में कहा कि औरंगजेब की कब्र हटाने से कोई समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने यह सुझाव दिया कि संभाजी नगर (पूर्व में औरंगाबाद) में छत्रपतिसंभाजी महाराज का एक भव्य स्मारक स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि उनकी महान विचारधारा को सम्मान मिल सके। आठवले का कहना था कियह कदम सिर्फ ऐतिहासिक महत्व नहीं रखेगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा।

रामदास आठवले, जो कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री हैं, ने देहरादून में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, “औरंगजेबकी कब्र हटाने से कोई परिणाम नहीं मिलेगा। हमें संभाजी नगर में छत्रपति संभाजी महाराज का स्मारक बनाना चाहिए, ताकि उनकी बहादुरी और उनकीविचारधारा को सम्मानित किया जा सके।” उन्होंने आगे बताया कि औरंगजेब की कब्र पुरातत्व विभाग के तहत आती है, और उसकी सुरक्षा भी उसीविभाग की जिम्मेदारी है। केंद्रीय मंत्री ने इस मुद्दे पर शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि किसी भी तरह की हिंसा से बचने की आवश्यकताहै।

इसके साथ ही, रामदास आठवले ने मुसलमानों से विशेष अपील की कि वे औरंगजेब से अपना नाता न जोड़ें। उन्होंने कहा, “मुसलमानों से मेरा निवेदनहै कि वे औरंगजेब से कोई संबंध न जोड़ें। यहां के मुसलमान हिंदू थे और वे औरंगजेब की औलाद नहीं हैं। उनका और औरंगजेब के साथ कोई संबंधनहीं है।” यह बयान आठवले ने समाज में शांति बनाए रखने और धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए दिया।

औरंगजेब की कब्र हटाने की मांगक्या है कारण?
मुग़ल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल, जो 1658 से 1707 तक रहा, भारतीय इतिहास में एक विवादास्पद अध्याय है। औरंगजेब की नीतियां औरउनके शासन के तरीके पर लगातार बहस होती रही है। उनकी विस्तारवादी नीतियां, धार्मिक असहिष्णुता और हिंदू मंदिरों को नष्ट करने की कथितघटनाओं को लेकर आलोचना की जाती रही है। इस विवाद ने और ज्यादा तूल तब पकड़ा, जब हाल ही में फिल्म ‘छावा’ रिलीज हुई, जिसमें औरंगजेबकी नीतियों और उनके शासनकाल की आलोचना की गई। इसके बाद महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर राजनीतिक विवाद और बढ़ गया।

औरंगाबाद (अब संभाजी नगर) के पास स्थित खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र है, और यहां उसकी कब्र हटाने की मांग तेजी से उठने लगी है। इस मांगको लेकर महाराष्ट्र में हाल के महीनों में हिंसा भी भड़की है। नागपुर में तो पुलिस पर पथराव हुआ और दर्जनों गाड़ियां फूंक दी गईं। इस हिंसा में कईलोग घायल हुए, और 100 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए। इस घटना ने औरंगजेब की कब्र को लेकर जारी विवाद को और भी जटिल बना दियाहै।

राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण
रामदास आठवले के बयान ने इस पूरे विवाद को एक नया मोड़ दिया है। उन्होंने औरंगजेब की कब्र को हटाने के बजाय छत्रपति संभाजी महाराज कास्मारक स्थापित करने का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि यह कदम न केवल छत्रपति संभाजी महाराज के योगदान को सम्मानित करेगा, बल्किसमाज में शांति और सामंजस्य भी स्थापित करेगा। साथ ही, यह ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि छत्रपति संभाजी महाराज नेऔरंगजेब के खिलाफ संघर्ष किया था और उनके नेतृत्व में मराठा साम्राज्य ने काफी सफलता प्राप्त की थी।

आठवले का यह बयान धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। उनका यह कहना कि मुसलमानों को औरंगजेब सेअपना नाता न जोड़ने की जरूरत है, यह संदेश दे रहा है कि किसी भी समुदाय को अपने इतिहास से उपजी नफरत और द्वेष को पीछे छोड़कर एकताऔर भाईचारे की ओर बढ़ना चाहिए। यह अपील विशेष रूप से उन मुस्लिम समुदायों के लिए है जो औरंगजेब को अपने इतिहास से जोड़ते हैं, जबकिरामदास आठवले के अनुसार, भारतीय मुसलमानों का औरंगजेब से कोई सीधा संबंध नहीं है।


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