
AICC ने आज एक प्रेस ब्रीफिंग में बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश कुमार और केंद्र की NDA सरकार पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस नेहाल की घटनाओं और सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आज बिहार में हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि राजधानी पटना की सड़कों परभी लोग सुरक्षित नहीं हैं। बीती रात पटना में एक प्रतिष्ठित डॉक्टर और हॉस्पिटल संचालक गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वेरात 11 बजे अपने घर लौट रहे थे। ये वारदात मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के आवास के करीब हुई, जिससे साफ है कि अपराधी अब किसी का खौफनहीं मानते। वहीं, इसी सप्ताह बोरिंग रोड जैसे संवेदनशील क्षेत्र में दिनदहाड़े ADG लॉ एंड ऑर्डर की मौजूदगी में आठ राउंड फायरिंग होना पुलिस कीनाकामी को दर्शाता है।
AICC ने NCRB और पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के हवाले से बताया कि 2005 में जहां बिहार में कुल अपराध 1.07 लाख थे, वहीं 2022 मेंयह आंकड़ा बढ़कर 3.47 लाख हो गया, यानी 323% की बढ़ोतरी। पिछले 17 वर्षों में बिहार में 53,150 हत्याएं हुईं, जो यूपी के बाद देश में दूसरास्थान है। हत्या के प्रयास के 98,169 मामले दर्ज हुए हैं 262% की वृद्धि के साथ। बलात्कार, अपहरण, डकैती जैसे जघन्य अपराधों में 206% औरमहिलाओं के खिलाफ अपराधों में 336% की बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं के अपहरण के मामलों में 1,097% और बच्चों के खिलाफ अपराधों मेंचौंकाने वाली 7,062% की वृद्धि दर्ज की गई है। दलित उत्पीड़न में बिहार देश में यूपी के बाद दूसरे स्थान पर है।
सिर्फ मई-जून 2025 की घटनाओं पर नजर डालें तो बिहार हत्या और यौन अपराधों से थर्रा उठा है। बक्सर में बालू व्यवसाय को लेकर तीन भाइयोंकी हत्या कर दी गई। सहरसा में जेडीयू नेता विनोद भगत की गोली मारकर हत्या हुई। पटना के दानापुर और फतुहा में युवकों की बीच सड़क पर हत्याहुई, जबकि नालंदा—जो मुख्यमंत्री का गृह जिला है—वहां दो लोगों को गोली मारी गई। आरा में 72 घंटों में आठ लोगों को गोली मारी गई, जिनमेंतीन की मौत हो गई। बेतिया में मछली व्यवसायी की हत्या के बाद भीड़ ने पुलिस वाहन फूंक दिया। वहीं मुंगेर और अररिया में मार्च 2025 में दोASI की हत्या की गई।
बच्चियों के खिलाफ हालिया जघन्य अपराधों ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। पटना में नाबालिग बच्ची से गैंगरेप, मुजफ्फरपुर में 5वीं कीछात्रा की रेप के बाद गला रेतकर हत्या, छपरा में स्कूल से लौटती छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार और हत्या, बेतिया में ढाई साल कीबच्ची से दुष्कर्म, और सीतामढ़ी, बगहा, अररिया व मुंगेर में 11-16 वर्ष की कई बच्चियों से गैंगरेप की घटनाएं सामने आई हैं। AICC के अनुसार, बिहार में हर दिन औसतन 28 महिलाओं का अपहरण होता है और प्रतिदिन 55 महिला अपराध दर्ज होते हैं, जिनमें 98% मामले अब भी अदालतों मेंलंबित हैं।
अन्य वीभत्स घटनाओं में सीतामढ़ी में पांच बच्चों को नग्न कर सड़कों पर घुमाना, कटिहार में महिला की हत्या और बच्ची के घायल होने, मधेपुरा मेंपति की हत्या कर शव को फांसी में लटकाना और नालंदा में महिला की हत्या कर सूटकेस में शव फेंकना शामिल है। राज्य में संगठित गैंगवार औरमाफिया संघर्ष भी लगातार बढ़े हैं। फरवरी में बेगूसराय में दो गैंगों के बीच 25 राउंड फायरिंग हुई। मोकामा में पूर्व विधायक अनंत सिंह से जुड़े गैंगऔर प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के बीच तीन दिनों तक गोलीबारी हुई। पंडारक में एक युवक को घर के सामने गोली मार दी गई, जबकि बांका में बालू माफियाके बीच संघर्ष में तीन लोग घायल हुए।
AICC ने इन घटनाओं को ‘गोलियां उगलता NDA राज’ करार देते हुए कहा कि आज बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। जबराजधानी की सड़कों पर गोलियां चल रही हों, बच्चियों से दुष्कर्म हो रहा हो और पुलिस पर हर दूसरे दिन हमले हो रहे हों, तो यह ‘सुशासन’ नहीं बल्किखुला ‘गुंडाराज’ है। कांग्रेस ने बिहार की जनता से अपील की कि अब वक्त आ गया है जब इस अराजकता के खिलाफ आवाज उठानी होगी।