गुजरात के अमरेली जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां एक प्राथमिक विद्यालय के 40 छात्रों ने अपने हाथों पर ब्लेड से खुद कोघायल कर लिया। बताया जा रहा है कि एक छात्र ने वीडियो गेम से प्रेरित होकर अपने सहपाठियों को इस खतरनाक कार्य के लिए उकसाया और उन्हें10 रुपये का लालच दिया।
खेल-खेल में बच्चों ने किया खुद को घायल
घटना हत्यामोटा मुंजियासर के बड़े स्कूल की है, जहां करीब 300 छात्र पढ़ते हैं। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र ने अपने सहपाठियों से कहा कियदि वे ब्लेड से हाथ काटेंगे तो उन्हें 10 रुपये मिलेंगे, अन्यथा उन्हें 5 रुपये देने होंगे। इस लालच में आकर 40 छात्रों ने पेंसिल शार्पनर के ब्लेड सेअपने हाथों पर कट लगा लिए।
स्कूल प्रशासन की लापरवाही
आरोप है कि शिक्षकों ने इस घटना को आठ दिनों तक छिपाए रखा, जिससे अभिभावकों में रोष फैल गया। जब कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों केहाथों पर कट के निशान देखे तो उन्होंने इसकी शिकायत स्कूल प्रशासन से की। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा और जांच शुरू की गई।
अभिभावकों ने पुलिस में की शिकायत
घटना की गंभीरता को देखते हुए ग्राम पंचायत के जरिए पुलिस को सूचना दी गई। बागासरा पुलिस स्टेशन के पीएसआई को देर शाम अभिभावकोंऔर सरपंच की ओर से शिकायत सौंपी गई। इसमें स्कूल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।
स्कूल प्रशासन का पक्ष
मोटा मुंजियासर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य मकवाना ने बताया कि बच्चों ने एक खेल के दौरान अपने हाथों पर ब्लेड से कट लगा लिए। जबयह बात स्कूल प्रशासन को पता चली, तो तुरंत अभिभावकों की बैठक बुलाई गई और उन्हें इस मामले की पूरी जानकारी दी गई।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
जब अभिभावकों ने अपने बच्चों के हाथों पर कट के निशान देखे तो उन्होंने स्कूल प्रशासन से सवाल किए। मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामपंचायत और पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि यह घटना ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण नहीं, बल्कि’ट्रुथ एंड डेयर’ नामक खेल के दौरान हुई।
पुलिस की जांच जारी
धारी के सहायक पुलिस अधीक्षक जयवीर गढ़वी ने स्कूल का दौरा किया और सीसीटीवी फुटेज की जांच की। साथ ही बच्चों से पूछताछ कर इसघटना के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश की। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और स्कूल प्रशासन से भी पूछताछ जारी है।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर बच्चों पर वीडियो गेम और खतरनाक चैलेंज गेम्स के प्रभाव को उजागर कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों कोडिजिटल कंटेंट के प्रति जागरूक किया जाना जरूरी है, ताकि वे इस तरह के खतरनाक कार्यों से बच सकें। अभिभावकों को भी चाहिए कि वे अपनेबच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें और किसी भी असामान्य व्यवहार को नजरअंदाज न करें।