
शारीरिक स्वास्थ्य और नशा विरोधी अभियान के तहत ज़ुम्बा की शुरुआत
केरल सरकार ने स्कूलों में छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ज़ुम्बा कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह पहल राज्यसरकार के नशा विरोधी अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य युवाओं को सक्रिय जीवनशैली के लिए प्रेरित करना और नशे के प्रति जागरूक करनाहै। कासरगोड जिले के थन्बीहुल इस्लाम हायर सेकेंडरी स्कूल (Thanbeehul Islam HSS) में ज़ुम्बा सत्र के एक वीडियो को राज्य के शिक्षा मंत्रीवी. सिवनकुट्टी ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर साझा किया था, जिसमें छात्र यूनिफॉर्म में ज़ुम्बा करते नजर आए।
मुस्लिम संगठनों ने नैतिकता और धार्मिक मूल्यों के उल्लंघन का आरोप लगाया
इस पहल पर केरल के कुछ मुस्लिम संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। विजडम इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के महासचिव टी.के. अशरफ ने फेसबुक परलिखा कि वह इस कार्यक्रम को स्वीकार नहीं करते और उनका बेटा इसमें हिस्सा नहीं लेगा। वहीं, समसथा नामक एक प्रमुख मुस्लिम संगठन के नेतानसर फैज़ी कूडाथाई ने इसे छात्रों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक नैतिकता का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों को कमकपड़ों में नाचने के लिए मजबूर कर रही है, जो न केवल अनुचित है, बल्कि छात्रों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ भी है।
शिक्षा मंत्री ने कार्यक्रम का किया बचाव
शिक्षा मंत्री वी. सिवनकुट्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए ज़ुम्बा कार्यक्रम का मजबूती से बचाव किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को नाचने यापरफॉर्म करने के लिए कम कपड़े पहनने के लिए नहीं कहा गया है, बल्कि वे स्कूल यूनिफॉर्म में ही शामिल हो रहे हैं। उन्होंने आपत्तियों को “नशे से भीअधिक खतरनाक ज़हर” बताते हुए कहा कि बच्चों को खेलने, हँसने, और स्वस्थ रूप से बढ़ने का अवसर दिया जाना चाहिए।
RTE कानून के तहत भागीदारी अनिवार्य
शिवनकुट्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार, सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्य सहगामी गतिविधियों में बच्चोंकी भागीदारी अनिवार्य है और इसमें अभिभावकों को असहमति का विकल्प नहीं दिया गया है।