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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के मामलों औरऋण समाधान में ‘हेयरकट’ की प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठाए। सिंह ने इस मुद्दे पर भाजपा की नीतियों पर आलोचना की और बताया कि कैसेNCLT मामले में क्रेडिटर्स (ऋणदाता) की समिति (CoC) तब तक आदेश जारी नहीं करती जब तक हेयरकट की मंजूरी नहीं मिल जाती है।

“हेयरकट” क्या है और यह कैसे काम करता है?
“हेयरकट” एक वित्तीय शब्द है, जो तब प्रयोग में आता है जब किसी ऋण का एक हिस्सा माफ किया जाता है। यह तब होता है जब एक ऋणदातापूरी ऋण राशि वसूलने में सक्षम नहीं होता और वह ऋण के एक हिस्से को छोड़ने के लिए सहमति देता है। सामान्यत: यह स्थिति उस समय आती हैजब ऋण लेने वाली कंपनी वित्तीय संकट में होती है और पूरी राशि चुकता करने में असमर्थ होती है।NCLT मामलों में “हेयरकट” तब होता है जबऋणदाता (जैसे बैंक) यह मान लेते हैं कि वे पूरी राशि वापस नहीं पा सकते, और ऋण में कटौती करने का निर्णय लेते हैं। यह स्थिति आमतौर परकंपनियों के दिवालिया होने या ऋण न चुका पाने की स्थिति में उत्पन्न होती है।

NCLT और क्रेडिटर्स की समिति (CoC) का रोल
दिग्विजय सिंह ने अपने बयान में यह सवाल उठाया कि NCLT मामलों में क्रेडिटर्स की समिति (CoC) के पास एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।उन्होंने कहा कि जब तक CoC हेयरकट को मंजूरी नहीं देता, तब तक NCLT कोई आदेश नहीं जारी कर सकता। इसका मतलब यह है कि CoC हीयह तय करता है कि ऋणदाता को कितनी राशि वसूल होगी और कितनी राशि माफ की जाएगी।सिंह ने यह भी कहा कि NCLT तब ही आदेश जारीकरता है जब क्रेडिटर्स की समिति हेयरकट पर सहमति दे देती है। इसका सीधा मतलब यह है कि इन मामलों में क्रेडिटर्स की समिति की मंजूरी के बिनाकोई भी निर्णय नहीं हो सकता।

SBI को हुए नुकसान का उल्लेख
दिग्विजय सिंह ने यह भी बताया कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 65% लोन मामलों में हेयरकट के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। उनका कहना थाकि इन मामलों में बैंक ने ऋण में कटौती स्वीकार की, जिसके परिणामस्वरूप बैंक को भारी नुकसान हुआ। सिंह ने यह भी उदाहरण दिया कि दो प्रमुखप्रकरणों में 96% हेयरकट हुआ है। इनमें एक मामला रेडियस एस्टेट्स का था और दूसरा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का। इन दोनों मामलों में लाभार्थीअडानी गुड होम्स थे।

क्या हेयरकट की मंजूरी NCLT द्वारा दी जाती है?
सिंह ने इस पूरे मुद्दे पर यह सवाल उठाया है कि क्या जितने लोन राइट ऑफ हुए हैं, उनमें हेयरकट भी शामिल है और क्या उन्हें NCLT ने मंजूरी दी है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रकार के मामलों में बैंक और अन्य ऋणदाता अपनी राशि की कटौती करने के बाद एक नए समझौते परसहमति बनाते हैं।

उनका यह सवाल सीधे तौर पर NCLT की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। उनका कहना है कि क्या सभी हेयरकट मामलों की पूरी पारदर्शिता के साथजांच हो रही है और क्या ये निर्णय सही तरीके से लिए जा रहे हैं?

दिग्विजय सिंह ने यह मामला उठाकर भाजपा की नीतियों और NCLT के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि सरकार और NCLT केनिर्णयों के परिणामस्वरूप कुछ बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा है, जबकि बैंक और अन्य ऋणदाता भारी नुकसान उठाते हैं। उनका यह भी कहना हैकि सरकार को इन मामलों में पारदर्शिता और स्पष्टता लानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हेयरकट और लोन राइट ऑफ के निर्णयपूरी तरह से उचित और सही तरीके से किए गए हैं।यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे देश के आर्थिक तंत्र और बैंकिंग सिस्टम पर प्रभावपड़ता है। इस प्रकार के मामलों में पारदर्शिता, निष्पक्षता और स्पष्टता की आवश्यकता है, ताकि कोई भी बैंक और उसके ग्राहक इस प्रक्रिया सेप्रभावित न हों। सिंह का यह बयान भाजपा और NCLT के निर्णयों पर और भी सवाल खड़ा करता है, जो आने वाले समय में और भी बहस का कारणबन सकता है।

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