
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी ‘राष्ट्रीय श्रम एवं रोजगार नीति – श्रम शक्ति नीति 2025’ केमसौदे पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस नीति मसौदे में यह लिखा गया है कि श्रम नीति की प्रेरणा प्राचीन ग्रंथों जैसेमनुस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति, नारदस्मृति, शुक्रनीति और अर्थशास्त्र से ली गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मनुस्मृति ने भारत में जाति व्यवस्था औरजातिवाद को जन्म दिया, इसलिए इसे नीति की नींव बताना संविधान के खिलाफ है। जयराम रमेश ने कहा, ‘मोदी सरकार का यह कहना कि श्रमशक्ति नीति संविधान से नहीं बल्कि मनुस्मृति जैसे ग्रंथों से प्रेरित है, यह हमारे संविधान का अपमान है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।’
श्रम शासन की नैतिक बुनियाद को दर्शाते
जयराम रमेश ने कहा, ‘यह नीति अभी मसौदे के रूप में है, और मोदी सरकार ने इसे अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक सुझाव के लिए डाला है। लेकिनइस मसौदे में साफ लिखा है कि यह नीति मनुस्मृति जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेती है। जब 1949 में हमारा संविधान लागू हुआ था, तब आरएसएस ने उसपर हमला किया था और कहा था कि यह ‘भारतीय संविधान’ नहीं है क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं है। आज वही सोच फिर लौट आई है।’ उन्होंने कहा कि मोदी और आरएसएस की सोच एक ही है, और श्रम नीति को मनुस्मृति से जोड़ना न केवल संविधान का अपमान है, बल्कि यहजातिवाद को बढ़ावा देने वाला कदम है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘मनुस्मृति ने जाति व्यवस्था को जन्म दिया, और अब उसी ग्रंथ से प्रेरणा लेकर श्रमिकनीति बनाना, यह हमारे संविधान और आंबेडकर की भावना के खिलाफ है।’ श्रम शक्ति नीति 2025 के मसौदे में लिखा है, ‘मनुस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति, नारदस्मृति, शुक्रनीति और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों में ‘राजधर्म’ की अवधारणा के माध्यम से न्याय, उचित मजदूरी और श्रमिकोंकी सुरक्षा की नैतिक नींव रखी गई थी। ये सिद्धांत भारत की सभ्यतागत परंपरा में श्रम शासन की नैतिक बुनियाद को दर्शाते हैं।’
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान की अनदेखी लगातार कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘तीस साल पहले, 1994 में, कांग्रेससरकार ने तमिलनाडु के 69% आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर उसे सुरक्षा दी थी। लेकिन बिहार में ऐसा क्यों नहींकिया गया? वहां कहते हैं ‘डबल इंजन सरकार’, पर अब यह ‘ट्रबल इंजन’ बन चुकी है।’ उन्होंने कहा कि बिहार में जब 65% आरक्षण कानून पारितहुआ था, तब कांग्रेस महागठबंधन की सरकार थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे रद्द कर दिया और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वहीं बिहार चुनावोंपर बोलते हुए जयराम रमेश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के पास रिमोट कंट्रोल है, और वे नीतीश कुमार को कंट्रोल कर रहे हैं। वे खुलकर क्यों नहीं कहते किनीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं? सच यह है कि उनके पास कोई कार्यक्रम या एजेंडा नहीं है। वे घबराए हुए हैं, क्योंकि बिहार कीजनता अब बदलाव चाहती है। महागठबंधन की सरकार बनेगी।’