कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने किसानों को लगातार धोखे में रखा है। “लागत+50% मुनाफा” का वादा सिर्फ एक चुनावी नारा बनकर रह गया है, जबकि जमीनीस्तर पर किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला।
स्वामीनाथन रिपोर्ट का नाम, पर अमल नहीं
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की जो दरेंघोषित की जा रही हैं, वे C2 लागत (जिसमें जमीन किराया, श्रम और लागत शामिल है) से 50% अधिक नहीं हैं। उन्होंने कई फसलों के उदाहरणदेते हुए बताया कि किसानों को औसतन ₹500 से ₹2,500 प्रति क्विंटल तक की कम कीमत मिल रही है।
घोषणा होती है, खरीद नहीं
उन्होंने बताया कि 2023-24 की खरीद रिपोर्ट दर्शाती है कि वास्तविक फसल खरीद बहुत कम है। केवल धान की खरीद आधे से ज्यादा उत्पादन परहुई है, जबकि जौ, मक्का, और चना जैसी फसलों की MSP पर खरीद लगभग न के बराबर है। इससे किसानों को मंडियों में औने-पौने दाम पर फसलबेचनी पड़ रही है।
महंगाई की मार, MSP में नहीं हुआ समुचित इजाफा
सुरजेवाला ने यह भी कहा कि सरकार जिस वृद्धि का प्रचार कर रही है, वह मुद्रास्फीति के स्तर को भी नहीं छूती। जैसे धान की कीमत को मात्र ₹69 प्रति क्विंटल बढ़ाया गया जबकि महंगाई दर के अनुसार यह वृद्धि ₹138 होनी चाहिए थी। साथ ही, डीजल के दाम बढ़ा दिए गए और खाद सब्सिडीमें ₹24,000 करोड़ की कटौती कर दी गई, जिससे किसान की लागत और बढ़ गई।
न MSP की कानूनी गारंटी, न खेती पर टैक्स से राहत
उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि यंत्रों और मशीनों पर अब भी भारी GST लागू है। संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों के बावजूद मोदी सरकार नेइन पर टैक्स में कोई छूट नहीं दी है। साथ ही, MSP को कानूनी अधिकार देने की अनुशंसा भी ठंडे बस्ते में पड़ी है।
कृषि योजनाओं में भारी राशि नहीं हुई खर्च
सुरजेवाला ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने कृषि कल्याण की प्रमुख योजनाओं पर करीब ₹8 लाख करोड़ का बजट घोषित किया, लेकिन उसका 38% हिस्सा खर्च ही नहीं किया गया। इसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम किसान और सिंचाई योजनाएं शामिल हैं। उन्होंनेकहा कि यह दर्शाता है कि सरकार की प्राथमिकता में किसान नहीं हैं।
वादे बड़े, नतीजे खोखले
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार का पूरा रवैया सिर्फ घोषणाओं और प्रचार पर आधारित है, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि किसान आज भीआर्थिक संकट से जूझ रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार MSP की कानूनी गारंटी दे, कृषि से जुड़े टैक्स खत्म करे और योजनाओं का प्रभावीक्रियान्वयन सुनिश्चित करे।