बीजापुर-कर्रेगुट्टा के घने जंगलों में 23 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ सुरक्षा बलों और नक्सलियों का 21 दिन तक जारी संघर्ष मंगलवार को शांत होने केबाद सामने आया कि इस ऑपरेशन में कुल 31 नक्सली ढेर हुए। सुरक्षाबलों ने यह कार्वाई छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF), केंद्रीयरिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की कोबरा बटालियन, जिला रिज़र्व गार्ड (DRG) और अन्य अर्धसैनिक दलों की संयुक्त टुकड़ी के साथ की थी।ऑपरेशन की तैयारी तब तेज हुई जब स्थानीय मुखबिरों और तकनीकी निगरानी से मिली सूचना में बताया गया कि नक्सलियों ने अपने कैंप मजबूत कररखे हैं और टॉप कमांडर हिडमा के नेतृत्व में बड़ी साजिश रची जा रही है।
पहले कुछ दिन हल्की-फुल्की झड़पें हुईं, लेकिन जैसे-जैसे सुरक्षाबलों ने कर्रेगुट्टा क्षेत्र में तीन दिशाओं से कड़ी घेराबंदी की, विरोधी समूह की पटरीबिखरनी शुरू हुई। जंगल की दुर्गम पगडंडियों में कभी हमला, कभी घात लगाए जाने से पुलिस और सीआरपीएफ पर स्थितियां मुश्किल हो गईं, लेकिन आधुनिक उपकरणों और संवेदनशील मानवरहित जांबाज यंत्रों (ड्रोन) की मदद से सुरक्षाबलों को कई अहम ठिकानों पर सटीक निशाना लगानेमें सफलता मिली।
मुठभेड़ों के बीच दोबाराहिरासत में लिए गए कई नक्सलियों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि संगठन ने अपने लॉजिस्टिक हब इलाके में कई तरह केहथियार और गोला-बारूद छुपा रखे थे। इसी आधार पर विशेष टीमों ने सर्च ऑपरेशन तेज किया और इधर-उधर छिपे नक्सलियों को तितर-बितर करदिया। 21 दिनों के इस अभियान के दौरान 31 शव बरामद किए गए, जिनमें कई जनमिलिशिया के ज़ोनल कमांडर, डिवीजनल कमांडर और महिलाविंग की वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। यह संगठन के लिए मर्माघात करने जैसा झटका है, क्योंकि उसकी रीढ़ मानी जाने वाली ये कमानियाँ टूट चुकी हैं।
सुरक्षाबलों को भारी मात्रा में असलहा भी मिला। बरामद हथियारों में सात एके-47 राइफलें, पांच इंसास राइफलें, तीन लाइट मशीन गन (एलएमजी), सैकड़ों राउंड कारतूस, आईईडी (इम्प्रूव्ड इन्हैंस्ड डिवाइस) बनाने का कच्चा माल, सैटेलाइट फोन, वायरलेस सेट, भारी राशन और मेडिकल किटशामिल है। साथ ही दस्तावेज और नक्शे भी मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि नक्सलियों ने आसपास के कई ग्रामीण क्षेत्रों में भी गोपनीय नेटवर्कतैयार कर रखा था। इन सूचनाओं का विश्लेषण केंद्रीय खुफिया एजेंसियां कर रही हैं, ताकि इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके।
बीजापुर रेंज के आईजी समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस सफल ऑपरेशन का विवरण साझा किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान नसिर्फ सैनिक दक्षता बल्कि स्थानीय जनता के सहयोग का नतीजा है। ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ फैलाई जा रही गोलबारी और आतंक कीजानकारी पुलिस को समय रहते दी, जिससे दुश्मन को पकड़ने का असली मौका मिला। सुरक्षा बलों का मानना है कि अब इलाके में बनी स्थिरता सेविकास कार्यों को गति मिलेगी और नक्सलियों के कंट्रोल जोन को कमज़ोर करने में मदद मिलेगी।
हालांकि इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। घने जंगलों में जगह-जगह लगी माइन्स और लोहे के तार, साथ हीनक्सलियों द्वारा विरचित झाड़ियों में छिपे आईईडी ने कई बार जगह-जगह दलों को पीछे हटने पर मजबूर किया। लेकिन एटीएस और कोबराबटालियन के विशेष प्रशिक्षण ने टीमों को सुरक्षित रुख अपनाने में मदद की। कई जवान घायल भी हुए, जिन्हें नजदीकी मेडिकल कैंपों में प्राथमिकइलाज के बाद रिकवर कराया गया।
इस बड़े ऑपरेशन ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि केंद्र और राज्य मिलकर जब एकठठा हों तो नक्सलवाद जैसीपुरानी चुनौती को भी नियंत्रित किया जा सकता है। गृह मंत्रालय ने इस उपलब्धि पर संतोष जताया है और पूरे देश में नक्सल प्रभावित इलाकों मेंसतर्कता बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं। साथ ही सुरक्षाबलों को आधुनिक हथियार और प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया और तेज करने का आश्वासन दियागया है।
स्थानीय प्रशासन ने भी दावा किया है कि अब इलाके में विकास गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाएगी। सड़कों का विकास, स्वास्थ्य केंद्रों काविस्तार और शिक्षा सुविधाओं का उन्नयन शुरू किया जाएगा, ताकि युवा दोबारा नक्सली गिरोहों की ओर न बढ़ें। ग्रामीणों का भरोसा बढ़ाने के लिएगांवों में साहसिक कार्य और आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जाएंगे।
कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में मिली यह बड़ी कामयाबी छत्तीसगढ़ में नक्सल संघर्ष को नियंत्रित करने की दिशा में एक अहम मोड़ साबित होगी। सुरक्षा बलोंकी सतर्कता, जनता का सहयोग और कड़ी योजना ने मिलकर यह सफलता दिलाई, जिससे आने वाले समय में राज्य के भीतर और आसपास के जिलोंमें शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।