
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर उठते विवाद के बीच कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। पार्टी के एआईसीसीप्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार को बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह घोषणा की। उन्होंने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बगल में बैठाकर कहाकि कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को नहीं हटाएगी।
विधायकों से मुलाकात और एकता का प्रदर्शन
रणदीप सुरजेवाला सोमवार को बेंगलुरु पहुंचे और उन्होंने पार्टी विधायकों से व्यक्तिगत मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट कियाकि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा। इससे पहले मैसूर में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार का हाथ उठाकर एकता का संदेशदिया था। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी, जैसे उन्होंने पहले भी एक बार बतौर मुख्यमंत्री किया था।
ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला: हकीकत या भ्रम?
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद को लेकर “ढाई-ढाई साल” के फॉर्मूले की चर्चा लंबे समय से चल रही है। कहा जा रहा है कि यह समझौताकांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला के बीच हुआ था। हालांकि, कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से इस पर कभी पुष्टि नहीं की। अबसवाल उठ रहा है कि क्या नवंबर 2025 में सिद्धारमैया के ढाई साल पूरे होने पर डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपी जाएगी?
संगठन समीक्षा या सत्ता हस्तांतरण की तैयारी?
रणदीप सुरजेवाला इस समय कर्नाटक में डेरा डाले हुए हैं और विधायकों एवं जिला अध्यक्षों से व्यक्तिगत फीडबैक ले रहे हैं। पार्टी कह रही है कि यहप्रक्रिया सरकार के कामकाज की समीक्षा और घोषणापत्र के क्रियान्वयन के मूल्यांकन के लिए है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, इसके पीछे सत्ताहस्तांतरण की तैयारी भी छुपी हो सकती है।
खरगे का बयान और अंदरूनी खींचतान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जब मुख्यमंत्री परिवर्तन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह फैसला आलाकमान करेगा। उन्होंनेबदलाव की संभावना से इनकार भी नहीं किया, जिससे डीके शिवकुमार के सीएम बनने की उम्मीदें और प्रबल हो गई हैं।
पर्दे के पीछे की रणनीति
बताया जा रहा है कि सिद्धारमैया अगले बजट तक पद पर बने रहना चाहते हैं, जबकि डीके शिवकुमार समयसीमा से एक दिन भी अधिक इंतजार नहींकरना चाहते। डीके शिवकुमार ने प्रदेश अध्यक्ष पद भी नहीं छोड़ा है, जो एक तरह का दबाव बनाने का संकेत माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है किडीके ने करीब 100 विधायकों से संपर्क साधा