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राज्यसभा सदस्य और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने रविवार को विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ को एक खास सलाह दी। सिब्बल ने कहा कि विपक्षीगठबंधन को जनता के सामने खुद को बिखरा हुआ दिखाने के बजाय एकजुट मोर्चे के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। सिब्बल ने इस दौरान विपक्षीगठबंधन के लिए एक औपचारिक ढांचे की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गठबंधन को प्रभावी रूप से अपनी बात जनता तक पहुंचाने केलिए प्रवक्ता नियुक्त करने चाहिए जो उनके विचारों का प्रतिनिधित्व करें।

विपक्षी गठबंधन को एकजुट मोर्चे के रूप में प्रस्तुत करने की सलाह
कपिल सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे लगता है कि भारत को एक गुट के रूप में दिखना चाहिए, न कि खुद को अलग-थलग करना चाहिए, जैसा कि वह सार्वजनिक रूप से करता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विपक्षी गठबंधन को प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों पर एक एकीकृत रुख अपनानाचाहिए। सिब्बल ने आगे कहा, “जब तक गठबंधन के पास प्रवक्ता नहीं होंगे, जो इसके विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों, मुझे नहीं लगता कि यहगठबंधन प्रभावी ढंग से आगे बढ़ सकता है।”

सिब्बल के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन को एक स्थिर और मजबूत मोर्चे के रूप में जनता के सामने पेश किया जाना चाहिए ताकि उसकी छवि एकजुटऔर मजबूत हो, न कि बिखरी हुई या असमंजस में। उन्होंने बताया कि इस दिशा में कदम उठाने से ही गठबंधन को जनता का विश्वास हासिल होगाऔर यह गठबंधन अपने उद्देश्यों को लेकर प्रभावी रूप से काम कर पाएगा।

औपचारिक सियासी ढांचे की आवश्यकता पर सिब्बल ने दी अपनी राय
कपिल सिब्बल ने औपचारिक सियासी ढांचे की जरूरत पर भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्होंने लंबे वक्त से इस विचार का समर्थन किया है किविपक्षी गठबंधन को एक सशक्त और औपचारिक ढांचे में ढाला जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ सदस्य इस विचार कोस्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “जाहिर है, या तो यह किसी को पसंद नहीं है या उन्हें लगता है कि यह उचित समय नहींहै।” सिब्बल के इस बयान से यह साफ होता है कि विपक्षी गठबंधन के भीतर विभिन्न दलों के दृष्टिकोण और उनके आंतरिक मतभेदों के कारणऔपचारिक ढांचा स्थापित करने में कठिनाई हो सकती है।

कपिल सिब्बल के अनुसार, यदि विपक्षी गठबंधन को प्रभावी ढंग से कार्य करना है, तो उसे एक औपचारिक संरचना में ढालने की जरूरत है, जिसमेंस्पष्ट नेतृत्व और प्रवक्ता हों। इस ढांचे से गठबंधन के विचारों और नीतियों को एक स्पष्ट दिशा मिल सकेगी, जो एकजुटता और संगठनात्मक शक्तिको बढ़ाएगा।

विपक्ष का भविष्यकपिल सिब्बल का सकारात्मक दृष्टिकोण
विपक्षी गठबंधन की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सिब्बल ने कहा कि वे विपक्ष के भविष्य को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, “मैं विपक्ष काभविष्य देखता हूं। यह क्या रूप लेगा, इसका क्या ढांचा होगा, हम देखेंगे।” सिब्बल का यह बयान विपक्षी गठबंधन के भविष्य को लेकर आशा कीकिरण दिखाता है, बावजूद इसके कि गठबंधन के भीतर कई आंतरिक मतभेद और चुनौतियां मौजूद हैं।

लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा की अगुआई वाली एनडीए का मुकाबला करने के लिए विपक्षी INDIA गठबंधन का गठन किया गया था।हालांकि, राज्य चुनावों के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच स्पष्ट रूप से खींचतान और मतभेद सामने आए थे, जिससे राजनीतिकटिप्पणीकारों ने यह सुझाव दिया कि विपक्षी गठबंधन की एकता में कमी ने भाजपा को चुनावों में फायदा पहुंचाया।

वक्फ (संशोधनविधेयक पर सिब्बल का बयान
वक्फ (संशोधन) विधेयक के बारे में पूछे जाने पर, कपिल सिब्बल ने एनडीए के बहुमत की कमी की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, “देखते हैं किउनकी स्थिति क्या है। बिहार में चुनाव आने वाले हैं और अगर वे विधेयक पेश करते हैं, तो उन्हें चुनाव प्रक्रिया पर इसके प्रभाव की चिंता हो सकतीहै।” सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर विधेयक पारित हो जाता है तो इसके कानूनी विकल्प खुले रहेंगे, और विपक्षी दल इस पर कदम उठा सकते हैं।
परिसीमन पर सिब्बल की चुटकी
वहीं, सिब्बल ने परिसीमन पर भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की हालिया बैठक का जिक्रकिया, जिसमें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। सिब्बल ने यह बताते हुए कहा कि परिसीमन पर कोई ठोस कदम नहींउठाया जा सकता जब तक नई जनगणना पूरी नहीं हो जाती। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “पहले जनगणना और फिर परिसीमन। तो, ‘अभी दिल्ली दूरहै’।”

इस टिप्पणी से यह साफ होता है कि सिब्बल का मानना है कि परिसीमन को लेकर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सकता, क्योंकि इसके लिएपहले जनगणना के आंकड़े जरूरी हैं। यह संकेत देता है कि परिसीमन का मुद्दा जल्द हल होने की संभावना नहीं है, क्योंकि नई जनगणना के बिना कोईभी परिसीमन योजना प्रभावी नहीं हो सकती।

सिब्बल का राजनीतिक करियर और बदलाव
कपिल सिब्बल ने लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे। हालांकि, मई 2022 मेंउन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए। उनके इस कदम ने कांग्रेस मेंअंदरूनी चुनौतियों और सत्ता संरचना में बदलाव की स्थिति को उजागर किया।

कपिल सिब्बल की यह सलाह विपक्षी गठबंधन के लिए अहम है, क्योंकि उनका मानना है कि एक मजबूत और संगठित विपक्ष ही भाजपा को चुनौतीदे सकता है। उनकी बातों को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दलों को एकजुट होकर एक सशक्त और औपचारिक ढांचे के तहत काम करने की जरूरत है, ताकि आगामी चुनावों में वे भाजपा के खिलाफ प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकें।


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