ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई ने जहां पाकिस्तान को अंदर तक झकझोर दिया, वहीं इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया गया। अब भारत नेउस झूठे प्रचार का करारा जवाब देने की ठानी है, जो पाकिस्तान द्वारा फैलाया जा रहा है। इसी कड़ी में, भारतीय नेताओं का एक सर्वदलीयप्रतिनिधिमंडल कई प्रमुख देशों का दौरा कर रहा है। इस दल का नेतृत्व बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद कर रहे हैं। यह प्रतिनिधिमंडल यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क और यूरोपीय यूनियन का दौरा करेगा।
एनडीटीवी से बातचीत में रविशंकर प्रसाद का बयान
एनडीटीवी के मनोरंजन भारती से बातचीत में रविशंकर प्रसाद ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी हूं कि उन्होंने यह जिम्मेदारी मुझे सौंपी है।आज भारत की कूटनीति का दायरा कितना व्यापक हो गया है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगता है कि पूरे प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ दो सदस्य भाजपासे हैं मैं और जयंत पांडा। बाकी सदस्य या तो सहयोगी दलों से हैं या विपक्ष से।” उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति और सद्भाव में विश्वास करता हैलेकिन यदि भारत के निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया जाएगा, तो उसका सटीक और प्रभावशाली जवाब दिया जाएगा।
कौन-कौन होंगे मुलाकातों में शामिल
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि विदेश दौरे के दौरान वहां के मंत्रियों, बुद्धिजीवियों, सिविल सोसाइटी, थिंक टैंक और भारतीय मूल के लोगों से मुलाकातकी जाएगी। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को ऊंचाई पर पहुंचाया है। हम अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ीअर्थव्यवस्था हैं और पाकिस्तान से हमारी अर्थव्यवस्था 11 गुना बड़ी है। फिर भी हम विकास और शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन आतंक का जवाबज़रूरी है।”
इतिहास से सीखना ज़रूरी
उन्होंने भारत पर हुए आतंकी हमलों का ज़िक्र करते हुए कहा, “1948, 1965, 1971 की जंगें, 1999 का कारगिल युद्ध, 26/11 का हमला, संसदपर हमला—इतिहास गवाह है कि भारत कभी भी पहले हमलावर नहीं रहा। फिर भी हमने हर बार संयम के साथ जवाब दिया। लेकिन अब समय आगया है कि दुनिया जाने कि पाकिस्तान का नाम हमेशा आतंकवाद के साथ क्यों जुड़ता है।”
दुनिया को दिखाएंगे पाकिस्तान का असली चेहरा
प्रसाद ने कहा, “ओसामा बिन लादेन से लेकर डेनियल पर्ल के हत्यारों तक, पाकिस्तान ने हमेशा आतंकवाद को पनाह दी है। हम यह दुनिया को बतानाचाहते हैं कि आतंकवाद केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है।”
क्या दुनिया अनजान है इन तथ्यों से?
इस सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कूटनीति में सीधा संवाद बेहद जरूरी होता है। उन्होंने कहा, “इस प्रतिनिधिमंडल की खास बात यह है किइसमें सभी दलों के नेता शामिल हैं ओवैसी साहब हों या गुलाम नबी आजाद। सब मिलकर एक सुर में बात करेंगे, जिससे संदेश और भी प्रभावीहोगा।”
विपक्ष की भूमिका और आलोचना पर जवाब
जब विपक्ष के कुछ नेताओं के बयानों पर सवाल उठा, तो रविशंकर प्रसाद ने संयमित जवाब देते हुए कहा, “कुछ लोग तो हमेशा बोलेंगे ही। ममताबनर्जी पहले नहीं चाहती थीं कि उनकी पार्टी से कोई प्रतिनिधिमंडल में जाए, लेकिन अब वो भी सहमत हो गई हैं। हम चाहते हैं कि देश एक स्वर मेंबोले। विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी सोचना चाहिए कि उनके बयान पाकिस्तान में तालियों की गूंज क्यों पैदा करते हैं।”