आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और गुजरात सह प्रभारी दुर्गेश पाठक ने CBI की छापेमारी को राजनीतिक साजिश बताया है। उन्होंने दावा किया किगुजरात में पार्टी की बढ़ती मजबूती से घबराकर उन्हें डराने के लिए उनके दिल्ली स्थित आवास पर CBI की रेड करवाई गई। प्रेस वार्ता में उन्होंने कहाकि इस कार्रवाई का उद्देश्य आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भय पैदा करना है।
3-4 घंटे तक चली जांच, कोई साक्ष्य नहीं मिला
दुर्गेश पाठक ने बताया कि CBI की टीम उनके घर पहुंची और 3 से 4 घंटे तक बेड, अलमारी, किताबें और हर कोना खंगाला, लेकिन उन्हें कोईआपत्तिजनक चीज नहीं मिली। उन्होंने यह भी कहा कि CBI की टीम बिना स्पष्ट जानकारी दिए आई और केवल एक सर्च वारंट दिखाया गया। जांचके दौरान एजेंसी के अधिकारियों ने उनके घर से केवल कुछ आधार कार्ड की फोटोकॉपी साथ ले गए, जो उनके अनुसार लोगों द्वारा मदद के लिए छोड़ेगए थे।
गुजरात में पार्टी के विस्तार को रोकने की साजिश
दुर्गेश पाठक ने कहा कि उन्हें हाल ही में गुजरात का सह प्रभारी नियुक्त किया गया है और पार्टी ने वहां काम शुरू किया है। उन्होंने आरोप लगाया किCBI की यह कार्रवाई इसी कार्य को बाधित करने और आप के अभियान को कमजोर करने की एक कोशिश है। उन्होंने कहा कि इस रेड का मकसदकार्यकर्ताओं में डर का माहौल बनाना है ताकि कोई AAP के साथ खड़ा न हो।
पहले भी नेताओं को बनाया गया निशाना
पाठक ने याद दिलाया कि पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में AAP को 5 सीटें और 41 लाख से अधिक वोट मिले थे, जिससे पार्टी एक मजबूतविकल्प के रूप में उभरी थी। इसके बाद पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी जैसे कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि यह रेड भी उसीकड़ी का हिस्सा है।
CBI जांच में सहयोग का भरोसा, डरने से इंकार
उन्होंने कहा कि वे एक जिम्मेदार नागरिक हैं और किसी भी एजेंसी की जांच में पूरी तरह सहयोग करेंगे। जो भी दस्तावेज या जानकारी मांगी जाएगी, वह प्रदान करेंगे। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वह डरने वाले नहीं हैं।
भाजपा लोकतंत्र के लिए खतरा बनती जा रही है
मीडिया से बात करते हुए दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्ष को खत्म करने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा किभाजपा विपक्षी नेताओं को जेल में डालने, उनके संसाधन खत्म करने और कार्यकर्ताओं को तोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने चेतावनी दीकि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।