आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता संजय आजाद सिंह ने राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा किमंत्रियों द्वारा सदन को दिए गए आश्वासनों में से अधिकांश पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका कहना था कि यह सदन की प्रक्रिया और लोकतांत्रिकप्रणाली की अवहेलना है, जो जनता के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को पूरी तरह से नजरअंदाज करती है।
आश्वासन पर कार्रवाई की कमी
संजय आजाद सिंह ने राज्यसभा में बीजेपी सरकार के मंत्रियों पर निशाना साधते हुए बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने सदन को कुल 160 सवालों पर आश्वासन दिए थे। यह सवाल विभिन्न मुद्दों से जुड़े थे, जो जनता की चिंता और प्रशासनिक सुधार से जुड़े थे। लेकिन, अफसोस की बातयह है कि इन आश्वासनों में से केवल 39 पर ही कार्रवाई की गई। यह संख्या बेहद कम है, और इसे एक बड़ी चूक माना जा रहा है।
संजय आजाद सिंह ने बीजेपी सरकार से सवाल किया, “मंत्री जी, जब आपने सदन में 160 आश्वासन दिए थे, तो उन पर सिर्फ़ 39 पर ही कार्रवाईक्यों की गई? बाकी आश्वासनों पर कार्रवाई न करने का क्या कारण है?” उनका यह सवाल सरकार के लिए चुनौती बन गया है और यह इस बात काइशारा करता है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभा रही है।
लोकतंत्र में संसदीय प्रक्रिया की अहमियत
आम आदमी पार्टी के नेता का कहना था कि लोकतंत्र में जनता के प्रतिनिधि, यानी सांसद, अपनी बात सदन में उठाते हैं, और मंत्री उनकी बातों परजवाब देते हैं। इन जवाबों को किसी न किसी कार्यवाही या सुधार में बदलने की जिम्मेदारी मंत्रियों पर होती है। संजय आजाद सिंह ने कहा कि जबसरकार सदन को आश्वासन देती है, तो यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं होती, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आश्वासन केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इनके तहत की गई घोषणाओं पर काम किया जानाचाहिए। यदि किसी आश्वासन पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह केवल सत्ता में बैठे लोगों की निंदा नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति एक गंभीरअनुशासनहीनता है।
सरकार पर लगातार बढ़ता दबाव
संजय आजाद सिंह का यह आरोप उस समय आया है जब सरकार पर लगातार आलोचनाओं का दबाव बढ़ रहा है। विपक्षी पार्टियों और सामाजिकसंगठनों का कहना है कि सरकार ने जनता के हित में कई मुद्दों पर खामोशी अपनाई है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए वादे किए हैं। इस स्थिति नेसरकार की ईमेज को भी प्रभावित किया है और जनता में असंतोष की भावना को जन्म दिया है।
विशेष रूप से, उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों और कामकाजी तरीके पर सवाल उठाए, जो जनता के विश्वास को जीतने में नाकाम रही हैं। उनकाकहना था कि जब सरकार अपने दिए गए आश्वासनों पर काम नहीं करती, तो यह ना सिर्फ सरकारी कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाता है, बल्कि जनता केबीच सरकार की विश्वसनीयता भी कमजोर करता है।
बीजेपी का जवाब
जहां एक ओर आम आदमी पार्टी के नेता संजय आजाद सिंह ने बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, वहीं बीजेपी ने इस आरोप काजवाब दिया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार हमेशा अपने आश्वासनों पर काम करती है, और समय-समय पर कई मुद्दों पर सुधार भी किए जातेहैं। उन्होंने कहा कि सदन में उठाए गए अधिकांश सवालों पर सरकार की प्रतिक्रिया समयबद्ध तरीके से दी जाती है और कार्रवाई की जाती है।
बीजेपी ने यह भी स्पष्ट किया कि कई मामलों में कार्रवाई इसलिए नहीं की जा सकी, क्योंकि वे जटिल और लंबी प्रक्रिया से गुजरते हैं, जैसे कानूनबनाने या कार्यान्वयन में समय लगता है। इसलिए कुछ मामलों में देरी होना स्वाभाविक है।
राज्यसभा में संजय आजाद सिंह का आरोप इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बीजेपी सरकार के कामकाजी तरीकों पर विपक्षी पार्टियां और जनतालगातार सवाल उठा रहे हैं। हालांकि बीजेपी इस आरोप का खंडन करती है, लेकिन यह सवाल गंभीर है कि क्या सरकार वास्तव में उन आश्वासनों कोसमयबद्ध तरीके से लागू कर रही है जो उसने जनता और सदन के सामने दिए थे। इस स्थिति में केवल समय ही बताएगा कि सरकार अपने किए गएवादों को निभा पाती है या नहीं।
इस बीच, विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर बढ़ते दबाव के बीच यह आशा जताई जा रही है कि आगामी दिनों में इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई की जाएगी, ताकि जनता का विश्वास पुनः अर्जित किया जा सके और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पूरी तरह से लागू किया जा सके।