
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर कड़ा विरोध जताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीषसिसोदिया ने इस नीति को एकतरफा, जनविरोधी और कंपनियों के हित में बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला दिल्ली के 61 लाख मध्यमवर्गीयवाहन मालिकों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन गया है। जिन वाहनों की स्थिति अच्छी है, जिनका प्रदूषण स्तर मानकों के भीतर है, उन्हें भी स्क्रैप करनेको मजबूर किया जा रहा है। इससे साफ है कि सरकार का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि वाहन निर्माता कंपनियों और स्क्रैप इंडस्ट्री को मुनाफापहुंचाना है।
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि सरकार और ऑटोमोबाइल कंपनियों के बीच मिलीभगत है, जिसके तहत आम आदमी पर नई गाड़ी खरीदने का दबावबनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लाखों ऐसे वाहन हैं जो आज भी चालू हालत में हैं, लेकिन सिर्फ उम्र के आधार पर उन्हें ईंधन देने से मनाकिया गया है। इस फैसले से सबसे ज्यादा असर सैलरी क्लास और वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ा है। ऐसे कई बुजुर्ग हैं जिनकी कार महीने में मुश्किल सेएक-दो बार ही निकलती है, लेकिन उन्हें भी नई गाड़ी खरीदने को कहा जा रहा है। वहीं, निम्न आय वर्ग के लोग जो सेकेंड हैंड गाड़ियां खरीदकर कामचलाते हैं, उनके लिए भी यह नीति विनाशकारी है।
उन्होंने यह भी बताया कि 1 जुलाई को पुराने वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध लागू करने के साथ ही केंद्र सरकार ने ओला-उबर जैसी टैक्सी सेवाओं को पीकऑवर्स में दोगुना किराया वसूलने की अनुमति भी दे दी। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार सुनियोजित तरीके से निजी कंपनियों को लाभ पहुंचारही है। मनीष सिसोदिया ने इस निर्णय की तुलना वेब सीरीज ‘पंचायत’ की उस नई पंचायत से की, जिसमें छल-कपट और सत्ता के दुरुपयोग सेफैसले होते हैं। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली की सरकार भी वैसा ही व्यवहार कर रही है—प्रशासनिक एजेंसियों और कानून व्यवस्था का दुरुपयोगकरते हुए आम जनता के खिलाफ नीतियाँ लागू की जा रही हैं।
सिसोदिया ने कहा कि कार और बाइक कोई फैशन का सामान नहीं, बल्कि एक आम भारतीय परिवार का सपना होता है, जैसे कोई अपना घर बनानाचाहता है। लोग वर्षों की मेहनत और बचत से वाहन खरीदते हैं, लेकिन अब उन्हें इसे स्क्रैप कर नई गाड़ी लेने को कहा जा रहा है। उन्होंने सवाल उठायाकि जब सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध अध्यादेश लाकर अपनी मनचाही नीति लागू कर सकती है, तो क्या वह 61 लाख परिवारों को राहतदेने के लिए कोई वैकल्पिक उपाय नहीं कर सकती?
आम आदमी पार्टी की मांग है कि पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल न देने का निर्णय तुरंत रद्द किया जाए और प्रदूषण नियंत्रण के लिए तकनीकीसमाधान अपनाए जाएं, न कि आम लोगों को आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया जाए। पार्टी ने सरकार से अपील की है कि वह जनता की तकलीफ कोसमझे और कंपनियों के हितों की बजाय आम नागरिकों के पक्ष में निर्णय ले।