देश में इस समय मुग़ल शासक औरंगजेब को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र से शुरू हुआ यह विवाद अब विभिन्न हिस्सों में फैल चुका है, औरइस पर कई प्रतिक्रियाएं आई हैं। इस विवाद के बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण और सख्त बयान दिया है। उनकाकहना है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत पर हमला करने और देश के लोगों का अपमान करने वाले आक्रांताओं का महिमामंडन करना देशद्रोह केसमान है। सीएम योगी ने बहराइच के मिहींपुरवा (मोतीपुर) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बयान दिया। इस बयान ने एक नई बहस कोजन्म दिया है, जिसमें एक ओर इतिहास के पुनः मूल्यांकन की मांग उठ रही है, वहीं दूसरी ओर देश की धार्मिक और सांस्कृतिक धारा को ध्यान में रखतेहुए कई नेता और सामाजिक कार्यकर्ता इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
सीएम योगी का बयान: आक्रांताओं का महिमामंडन देशद्रोह
सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को बहराइच के मिहींपुरवा (मोतीपुर) में एक कार्यक्रम के दौरान आक्रांताओं के महिमामंडन को लेकर अपनी चिंताजताई। उन्होंने कहा, “किसी भी आक्रांता का महिमामंडन करना, देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है। स्वतंत्र भारत किसी भी ऐसे देशद्रोही को स्वीकारनहीं कर सकता, जो हमारे महापुरुषों का अपमान करता हो और हमारे देश की सनातन संस्कृति पर आक्रमण करता हो।” योगी आदित्यनाथ ने यह भीकहा कि भारत आज के समय में अपने इतिहास, संस्कृति और आस्थाओं का अपमान करने वाले आक्रांताओं के महिमामंडन को कतई स्वीकार नहीं करसकता। उनके अनुसार, ये आक्रांता भारत की ऐतिहासिक पहचान को तोड़ने का काम करते थे और भारतीय संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश करतेथे।
उनके इस बयान में विशेष रूप से औरंगजेब जैसे शासकों का उल्लेख किया गया, जिनका शासनकाल भारतीय इतिहास में विवादास्पद रहा है। सीएमयोगी का कहना था कि औरंगजेब ने भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं पर हमले किए थे, और उनका महिमामंडन करना देश के हित में नहीं है।योगी ने यह भी कहा कि अगर कोई आज भी इन आक्रांताओं की तारीफ करता है, तो यह स्वतंत्र भारत के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है।
महाराज सुहेलदेव का उल्लेख
अपने संबोधन में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय इतिहास के एक महान नायक, महाराज सुहेलदेव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा किमहाराज सुहेलदेव के पराक्रम के कारण 150 वर्षों तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का साहस नहीं कर सका। योगी आदित्यनाथ नेयह उदाहरण दिया कि कैसे भारत के इतिहास में कुछ नायक थे जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ युद्ध किया और भारतीय संस्कृति की रक्षा की।यह बयान एक तरह से यह संदेश देता है कि हमें अपने ऐतिहासिक नायकों और उनकी उपलब्धियों को सम्मान देना चाहिए, न कि उन आक्रांताओं कोमहिमामंडित करना चाहिए जिन्होंने भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं पर हमले किए थे।
औरंगजेब पर विवाद की शुरुआत
औरंगजेब के महिमामंडन से जुड़ा विवाद महाराष्ट्र से शुरू हुआ था। दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी नेऔरंगजेब को लेकर एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने औरंगजेब को क्रूर शासक मानने से इनकार किया था। अबू आजमी ने कहा था कि औरंगजेबकोई क्रूर शासक नहीं था, बल्कि उसके शासनकाल में भारत की जीडीपी 24 प्रतिशत थी और भारत सोने की चिड़ीया था। उन्होंने यह भी कहा था किइतिहास में औरंगजेब के बारे में कई गलत बातें कही गई हैं और उसे एक क्रूर शासक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
अबू आजमी का यह बयान राजनीतिक विवाद का कारण बन गया। उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ और उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दियागया। इसके बाद औरंगजेब को लेकर और भी विवाद उठने लगे। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग कीगई। इसके बाद नागपुर में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब के पुतले का दहन किया।
नागपुर में हिंसा और सांप्रदायिक तनाव
नागपुर में औरंगजेब के पुतले के दहन के बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया। अफवाहें फैलने लगीं कि प्रदर्शन के दौरान एक विशेष समुदाय के धर्म ग्रंथको जलाया गया है, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई। 17 मार्च की रात को नागपुर में हिंसा भड़क उठी, जिसमें एक पक्ष के लोगों ने जमकर तोड़फोड़की और आगजनी की। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस हिंसा को रोकने के लिएनागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लागू करना पड़ा। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की और कई आरोपियों को गिरफ्तार भीकिया।
भारत में आक्रांताओं के महिमामंडन पर बहस
यह विवाद न केवल महाराष्ट्र बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में गहराता जा रहा है। आक्रांताओं का महिमामंडन और उनके प्रति सम्मान की भावना कायह मुद्दा भारतीय समाज में एक गहरी बहस का विषय बन चुका है। योगी आदित्यनाथ का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भारतीय समाजको अपनी संस्कृति, इतिहास और आस्थाओं की रक्षा करनी चाहिए और उन आक्रांताओं का महिमामंडन नहीं करना चाहिए जिन्होंने भारतीय सभ्यताऔर संस्कृति को नुकसान पहुंचाया।
भारतीय इतिहास में औरंगजेब जैसे शासक रहे हैं, जिनकी नीतियों को लेकर आज भी विवाद है। औरंगजेब के शासनकाल में हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, जजिया कर लगाया गया और धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाए गए थे। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब के शासनकाल मेंकई सकारात्मक पहलू भी थे, जैसे उसने भारतीय समाज के लिए कई सुधार किए थे। लेकिन इन सुधारों की छाया में उसके द्वारा किए गए धार्मिकउत्पीड़न की घटनाएं अब भी चर्चा का विषय हैं।
निष्कर्ष
सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान औरंगजेब जैसे आक्रांताओं के महिमामंडन पर एक सख्त प्रतिक्रिया है। उनका कहना है कि स्वतंत्र भारत में ऐसेआक्रांताओं का महिमामंडन देशद्रोह के बराबर है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस बयान ने न केवल इतिहास के पुनः मूल्यांकन की बातउठाई है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि भारतीय समाज को अपनी सांस्कृतिक धारा और आस्थाओं की रक्षा कैसे करनी चाहिए।
औरंगजेब जैसे विवादास्पद ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के महिमामंडन और उनके प्रति सम्मान की भावना ने एक नई बहस को जन्म दिया है, जो भारतीयसमाज के विभिन्न वर्गों के बीच सांप्रदायिक और ऐतिहासिक ध्रुवीकरण को उजागर करता है। यह स्थिति भारतीय राजनीति और समाज में ऐतिहासिकनायकत्व और उनके योगदान को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। इस विवाद के जरिए यह संदेश मिलता है किसमाज को अपनी सांस्कृतिक धारा को सम्मान देना चाहिए, और जो लोग इसकी अनदेखी करते हैं, उनका महिमामंडन नहीं करना चाहिए।