अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर कोर्ट ने झटका दिया है. संघीय न्यायालय ने देश के सरकारी सहायता प्राप्त मीडिया समूह- वॉइसऑफ अमेरिका को सरकारी आर्थिक मदद और कर्मचारियों को निकालने के आदेश पर रोक लगा दी है.कोर्ट ने कहा कि वॉइस ऑफ अमेरिका को चुपनहीं कराया जा सकता. कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को मनमाना और मनमौजी निर्णय लेने का मामला कहा. न्यायाधीश जेम्स पॉल ओटकेन नेवॉइस ऑफ अमेरिका को चलाने वाली यूएस एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया को 1200 से अधिक पत्रकारों, इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों को नौकरीसे निकालने से रोक दिया. ओटकेन ने एक अस्थायी प्रतिबंध आदेश जारी करके एजेंसी को कर्मचारियों या कांट्रैक्टरों को नौकरी से निकालने, कर्मचारियों की संख्या कम करने, छुट्टी पर भेजने और किसी भी कार्यालय को बंद करने या विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका लौटने के लिए मजबूरकरने से रोक दिया है.इसके अलावा एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया को रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी, रेडियो फ्री एशिया और रेडियो फ्री अफगानिस्तानसहित अपने अन्य प्रसारण आउटलेट के लिए दिए जाने वाले फंड को समाप्त करने से रोका गया है. एजेंसी ने गुरुवार को कहा कि वह न्यायाधीश केआदेश के बाद रेडियो फ्री यूरोप की फंडिंग बहाल कर रही है.जज ओटकेन ने ट्रंप प्रशासन को एक ऐसी एजेंसी को नुकसान पहुंचाने के लिए दोषीठहराया, जिसे कांग्रेस द्वारा वैधानिक रूप से अधिकृत और वित्त पोषित किया गया है.
न्यायाधीश ने एजेंसी के नेतृत्व की आलोचना करते हुए कि उन्होंने अमेरिकी सरकार के वैश्विक, सॉफ्ट-पावर मेगाफोन पर प्रभावों पर विचार किए बिनारातोंरात हाथ खींच लिए. जज ने वॉइस ऑफ अमेरिका के पत्रकारों, श्रमिक संघों और गैर-लाभकारी पत्रकारिता वकालत समूह रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्सके गठबंधन के बाद पिछले हफ्ते ट्रंप प्रशासन पर कटौती को रोकने के लिए दायर मुकदमे पर सुनवाई की.संघीय अदालत में दर्ज किए गए मुकदमे मेंकहा गया है कि वॉइस ऑफ अमेरिका के कर्मचारियों को 15 मार्च को अपने लाइव प्रसारण समाप्त करने और फिर इमारत खाली करने के लिए कहागया. इसके तुरंत बाद उन्होंने ईमेल सहित एजेंसी के कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंच खो दी. वॉइस ऑफ अमेरिका की समाचार वेबसाइट को तब से अपडेटनहीं किया गया है. दरअसल वह यह निर्धारित कर रही हैं कि न्यूनतम स्टाफिंग स्तरों पर कुछ आउटलेट्स को संचालित करने के लिए कितने लोगों कीआवश्यकता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को काम पर वापस लाया गया है और क्यूबा में रेडियो मार्टी सेवा शुरू कर दी गई है। हम यह सुनिश्चितकरना चाहते हैं कि ये एजेंसियां हमारे अमेरिकी मूल्यों के अनुरूप हों. हम अमेरिका की कहानी बता रहे हैं. हम अपने विरोधियों की कहानियां नहीं बतारहे हैं हम अमेरिका विरोधी कचरा नहीं फैलाएंगे.राष्ट्रपति ट्रंप ने 14 मार्च को एक आदेश जारी करके वॉइस ऑफ अमेरिका को बंद कर दिया था.
ट्रंप ने समाचार एजेंसी पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया. व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि ‘वॉयस ऑफ अमेरिका वर्षों से देश केसाथ तालमेल बिठाने में विफल रहा. यह कट्टरपंथी अमेरिका का प्रतिनिधित्व करता है और विभाजनकारी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दे रहा है.ट्रंप प्रशासन केएक बयान के अनुसार, यह एजेंसी (वॉयस ऑफ अमेरिका) अमेरिकी करदाताओं पर बहुत बड़ा बोझ है.वॉइस ऑफ अमेरिका, जो कि मुख्यतः रेडियोसेवा के तौर पर काम करता है, को तब स्थापित किया गया था जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के नाजी शासन का प्रोपगैंडा तेजी से फैल रहा था।ऐसे में अमेरिका ने वीओए को तेजी से बढ़ावा दिया। दुश्मनों के खिलाफ नैरेटिव सेट करने और सहयोगी देशों की आवाज करोड़ों लोगों तक पहुंचाने केलिए वॉइस ऑफ अमेरिका की अहम भूमिका मानी जाती है। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में यह संस्थान लगातार विवादों में घिरा है।