रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में आयोजित ‘तिरंगा यात्रा’ में भाग लेकर उसका नेतृत्व किया। यह यात्रा भारतीय सशस्त्र बलोंके साहस और वीरता को सम्मान देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, जो हाल ही में सफलतापूर्वक संपन्न हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आयोजितकी गई पहल का हिस्सा है। यह यात्रा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा 13 से 23 मई तक चलने वाली राष्ट्रव्यापी मुहिम का एक महत्वपूर्ण अंगहै।
ऑपरेशन सिंदूर बना आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिज्ञा का प्रतीक
अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर अमित शाह ने लिखा, “देश के जांबाज सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अपनी बहादुरी सेआतंकवाद के खात्मे का प्रतीक बना दिया है।” उन्होंने गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में इस यात्रा के आयोजन को उन वीर जवानों को समर्पित बताया, जिन्होंने इस सैन्य कार्रवाई में अपनी भूमिका निभाई।
यात्रा का उद्देश्य: जनता को जागरूक करना और सैनिकों का सम्मान
‘तिरंगा यात्रा’ का प्रमुख उद्देश्य भारतीय सेना के पराक्रम और बलिदान को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना है। साथ ही, यह देशवासियों कोऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक और भावनात्मक महत्ता से अवगत कराने का भी माध्यम बनी।
गुजरात दौरे में शिक्षा और सहकारिता पर भी रहा फोकस
अमित शाह ने अहमदाबाद दौरे के दौरान मेहसाणा जिले के गोजरिया में केके पटेल और मधुबेन के पटेल नर्सिंग कॉलेज की नई बिल्डिंग का उद्घाटनकिया। इस मौके पर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे विकास को देश के भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।
सहकारी आंदोलन पर अहम सम्मेलन को किया संबोधित
इसके अलावा उन्होंने गुजरात राज्य सहकारी संघ द्वारा आयोजित सम्मेलन को भी संबोधित किया, जिसका विषय था—‘विकसित भारत के निर्माण मेंसहकारिता की भूमिका’। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारी क्षेत्र में आई मजबूती पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सहकारिता अब सिर्फएक मॉडल नहीं बल्कि गरीबों, किसानों और वंचितों के लिए विकास का माध्यम बन चुकी है।
‘सहकारिता संकल्प’ पुस्तक का विमोचन और योजनाओं का उल्लेख
शाह ने इस दौरान ‘सहकारिता संकल्प’ नामक पुस्तक के विमोचन की घोषणा भी की, जो सहकारिता के विभिन्न आयामों—महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण सुरक्षा, डिजिटलीकरण और आत्मनिर्भरता—पर केंद्रित है। उन्होंने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना, पैक्स (प्राथमिक कृषि साखसमितियों) को सशक्त बनाने और डेयरी सहकारी समितियों के पुनर्गठन जैसी पहलों को सहकारिता के पुनरुत्थान की दिशा में अहम कदम बताया।