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भारत सरकार ने अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम 2023 के नियमों को अधिसूचित कर दिया है। इस अधिनियम केप्रभावी हो जाने से थियेटर कमांड के अंतर्गत काम करने वाले कमांडरों को अपने अधीनस्थ सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का विधिकअधिकार मिल गया है। यह कदम सशस्त्र बलों के भीतर बेहतर समन्वय और संचालन सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम सुधार माना जा रहा है।
अधिनियम की पारदर्शी रूपरेखा और प्रभावी कार्यान्वयन
यह अधिनियम सेवा शर्तों में किसी बदलाव के बिना अंतर-सेवा संगठनों (ISO) में आदेशों की स्पष्टता और अनुशासन लागू करता है। इसके तहतकमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को कानूनी रूप से यह अधिकार प्राप्त हो गया है कि वे सभी संबंधित सेवाओं के कर्मियों पर नियंत्रण औरअनुशासन कायम रखें। धारा 11 के तहत बनाए गए नए नियमों का उद्देश्य है कि इस अधिनियम को व्यावहारिक और सुसंगत तरीके से लागू किया जासके।

सेनाओं के समन्वय की दिशा में बड़ा सुधार
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति के बाद से ही तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। थियेटरकमांड की स्थापना इसी दिशा में एक निर्णायक कदम है, जिसके अंतर्गत एक अधिकारी थल, जल और वायु सेना की संयुक्त कमांड की जिम्मेदारीसंभालेगा। यह न सिर्फ निर्णय प्रक्रिया को तेज बनाएगा बल्कि संचालन में तालमेल भी बेहतर करेगा।

समय की मांग के अनुरूप बदलाव
यह अधिनियम लंबे समय से लंबित एक ढांचागत सुधार की पूर्ति करता है। मौजूदा समय में तीनों सेनाओं के लिए अलग-अलग कानूनी व्यवस्थाएं हैं, जिससे संयुक्त अभियानों में बाधा आ सकती थी। नई व्यवस्था इन अड़चनों को दूर कर एक統ीकृत और केंद्रीकृत कमांड संरचना स्थापित करने कामार्ग प्रशस्त करेगी।

अंडमान-निकोबार मॉडल से प्रेरित नई दिशा
यह सुधार उस दिशा में अगला बड़ा कदम है, जिसकी शुरुआत 24 वर्ष पहले अंडमान-निकोबार कमांड के निर्माण से हुई थी। थियेटर कमांड कीऔपचारिक घोषणा जल्द होने की संभावना है, जो भारत की रक्षा तैयारियों को एक नई गति देगा।

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